आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत देने वाली खबर आई है. पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाने के लिए आईएमएफ ने उसे 6 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज देने का फैसला किया है.
आईएमएफ से पाकिस्तान की यह डील अगले तीन साल के लिए हुई है. यानी आईएमएफ आने वाले तीन सालों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 6 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज देगा.
हालांकि, यह समझौता अभी स्टाफ के स्तर पर हुआ है. इसे औपचारिक मंजूरी मिलना बाकी है. अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद वाशिंगटन में आईएमएफ बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इस समझौते को मंजूरी देगा, जिसके बाद ही पाकिस्तान को आर्थिक मदद का रास्ता पूरी तरह साफ हो पाएगा.
वित्त, राजस्व एवं आर्थिक मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार डॉ अब्दुल हफीज शेख ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि आईएमएफ पाकिस्तान को अगले तीन साल के 6 अरब अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज देगा.
बताया जा रहा है कि बीते 29 अप्रैल से इस मसले पर अधिकारियों के बीच मैराथन बातचीत और बैठकों का दौर चल रहा था. जिसके बाद बातचीत अंजाम तक पहुंच पाई है. हालांकि, पहले यह समझौता 7 मई तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अंतिम सहमति रविवार को ही बन पाई.
बता दें कि पाकिस्तान भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान को इस हालत से उबारना है. यही वजह है अगस्त 2018 में पहली बार पाकिस्तान की कमान मिलने के बाद से ही इमरान सरकार आईएमएफ से इस राहत पैकेज की गुहार लगा रही थी. जिसे आईएमएफ ने फिलहाल मान लिया है.
बता दें कि पाकिस्तान 1950 में आईएमएफ का सदस्य बना था, जिसके बाद से अब तक वह 21 बार बेलआउट पैकेज ले चुका है और अब इस नए पैकेज को मंजूरी मिलने के बाद यह 22वां बेलआउट पैकेज होगा.
पाकिस्तान पर भारी कर्ज
पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 27.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस तरह पाकिस्तान अब कर्ज के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा को भी पार कर चुका है और अर्थव्यवस्था तथा उसके लोगों का भविष्य खतरे में पड़ गया है.
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) द्वारा हाल में जारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने यह अनुमान जारी किया था कि 2018-19 में पाकिस्तान का वित्तीय घाटा जीडीपी के 7.9 फीसदी तक होगा और 2019-20 में यह बढ़कर 8.7 फीसदी हो जाएगा.
मौजूदा वित्त वर्ष में पाकिस्तान का कर्ज-जीडीपी अनुपात बढ़कर 72.2 फीसदी तक पहुंच गया है और 2019-20 में यह बढ़कर 75.3 फीसदी तक पहुंच जाएगा.