श्रीलंका के राजनीतिक संकट के बीच विक्रमसिंघे के खेमे के कई सांसदों ने पुलिस प्रमुख से यह कहते हुए सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया है कि वे अब भी सरकार के मंत्री हैं। वहीं, पुलिस प्रमुख पुजित जयसुंदरा का कहना है कि वह राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना से आदेश ले रहे हैं। उन्होने कहा कि वे इस स्थिति में नही हैं कि बर्खास्त किए गए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कानून और व्यवस्था मंत्री से आदेश ले सकें। मंत्रियों को सुरक्षा राष्ट्रपति सिरिसेना के आदेश पर ही प्रदान की जा सकती है।
ज्ञात हो कि सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर चीन समर्थक राजनेता माने जाने वाले महिंदा राजपक्षे को पीएम बनाया था।
अब इस पूरे श्रीलंका में राजनीतिक संकट वाले प्रकरण के पीछे भारत और चीन की भी आपसी खींचतान नजर आ रही है। दोनों देश बंदरगाह, एयरपोर्ट जैसे बड़े आधारभूत परियोजना के लिए जोर लगा रहे हैं। मालूम हो कि चीन की कंपनी श्रीलंका में 1.5 अरब डॉलर से एक नए कॉर्मिशियल डिस्ट्रिक्ट का निर्माण किया है। इसमें होटल और मोटर रेसिंग ट्रैक जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं।
चीन श्रीलंका में एक बड़ा कंटेनर टर्मिनल भी बना चुका है। वहीं भारत भी श्रीलंका में बंदरगाह समेत अन्य परियोजना में भागीदारी कर रहा है। श्रीलंका में राष्ट्रपति सिरिसेना और पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के बीच के विवाद को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अधिकारियों और विदेशी राजनयिकों का कहना है कि श्रीलंका में भारतीय हित को सुरक्षित करने के मसले पर ही यहां की सरकार में विवाद पैदा हुआ। विक्रमसिंघे के मुताबिक उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि अंतिम फैसले में भारत, जापान और श्रीलंका के बीच हुए एमओयू का सम्मान होना चाहिए। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि श्रीलंका के विकास में सहयोग देने के लिए पूरी तरह तैयार है।