बदलती जीवनशैली में सिर्फ एक बीमारी कई बीमारियों की वजह बन जाती है। इन्हीं जानलेवा बीमारियों में से एक है ब्रेन स्ट्रोक। सर्दियां दस्तक दे चुकी है। रिकॉर्ड के मुताबिक ठंड में स्ट्रोक की संभावनाएं 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। नई दिल्ली स्थित पीएसआरआई अस्पताल के एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। पीएसआरआई अस्पताल के न्यूरोसाइंसेज विभाग के डॉ. अमित वास्तव ने बताया कि ठंड के महीनों में सभी प्रकार के स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि हो जाती है। बताया जा रहा है कि अध्ययनों के अनुसार सर्दियों के महीनों में इंफेक्शन की दर में वृद्धि, व्यायाम की कमी और हाई ब्लड प्रैशर, स्ट्रोक की बढ़ी हुई घटनाओं का कारण बन जाते है। सर्दियों के दौरान वायु काफी हद तक प्रदूषित रहती है। प्रदूषित वायु के कारण लोगों की छाती और हृदय की स्थिति भी और खराब हो जाती है।
ब्रेन स्ट्रोक से देश में प्रति वर्ष एक हजार में से 1.54 व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसमें रक्त संचरण में रूकावट आने के कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं क्योंकि ऑक्सीजन की सप्लाई रूक जाती है और मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं। इस कारण लकवा, याददाश्त जाने की समस्या, बोलने में असमर्थता जैसी स्थिति होने की संभावना होती है। इसके प्रति लोगों को जागरूक होना होगा।
इन्हें है ज्यादा खतरा
डॉयबिटीज के मरीजों को स्ट्रोक का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है 55 साल से अधिक उम्र के लोगों को गर्भनिरोधक या हार्मोन्स की दवा लेने वाले व्यक्ति को जन्मजात रक्तवाहिनी रोगी को नियमित सिगरेट व शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति को एनिमिया या माइग्रेन के मरीजों को उच्च रक्तचाप से पीड़ित मरीजों को जिनके परिवार में किसी सदस्य को ब्रेन हैमरेज हुआ हो मोटे व सुस्त लोगों को
लक्षण –
शरीर के एक हिस्से, चेहरे, हाथ, टांग का सुन्न होना
शरीर पर चीटियां दौड़ना या कमजोरी महसूस होना
भ्रम की स्थित में होना
बोलने या समझने में मुश्किल, अस्पष्ट बोलना
एक या दोनों आंखों से साफ न दिखना
तेज सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना
स्ट्रोक से बचाव –
शराब, सिगरेट का सेवन न करें
तनाव से दूर रहें
नियमित व्यायाम व प्राणायाम करें
मोटापे के शिकार लोग वजन नियंत्रित करें
सिरदर्द से पीड़ित मरीज सिटी स्कैन व एमआरआई जांच कराएं
स्ट्रोक से खुद के बचाव पर डॉ. सुमित गोयल ने कहा कि ऐसी अवधि में किसी भी व्यक्ति को अगर सही इलाज मिले तो उसमें काफी सुधार हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को अगर हाथ में कमजोरी या कभी बोलने में कठिनाई होती है तो बिल्कुल सतर्क रहना चाहिए। ऐसी स्थिति में रोगी को किसी पास के अस्पताल में ले जाएं। लक्षण के शुरुआती घंटों के भीतर उसका इलाज कर बचाया जा सकता है।