पाकिस्तान की आर्थिक दुर्दशा ने उसे एक बार फिर आईएमएफ के आगे हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है। लेकिन इस बार पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से कर्ज का मसला चीन से उसके संबंधों को लेकर पहले ही जटिल हो चुका है। हालांकि अभी तक पाकिस्तान की ओर से आईएमएफ से लोन के लिए अब तक कोई औपचारिक मांग नहीं की गई है। उम्मीद है कि आईएमएफ पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल से गुरुवार को मुलाकात करेगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ बेलआउट (राहत) के सौदे में कर्जों की पूरी पारदर्शिता दिखानी होगी। जिनमें से अधिकांश कर्ज चीन से उसकी ऐतिहासिक बेल्ट और रोड योजना के तहत लिए हैं। इंडोनेशिया के बाली शहर में आयोजित आईएमएफ और विश्व बैंक समूह की सालाना बैठक में लेगार्ड ने कहा, “हम जो भी काम करते हैं, उसमें किसी देश के कर्ज के स्वरूप और आकार को लेकर हमारे पास पूरी स्पष्टता और पारदर्शिता होनी जाहिए।” समाचार एजेंसी ‘एफे’ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि आईएमएफ को ऋणों के संबंध में स्पष्ट जानकारी की जरूरत है। इसके अंतर्गत स्वतंत्र देशों और सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों से लिए गए कर्ज भी शामिल हैं। उनके बयान से जाहिर है कि पाकिस्तान को बेल्ट और रोड परियोजना में उसकी भागीदारी के हिस्सेके रूप में चीन से मिले ऋणों की पूरी जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य किया जा सकता है। बताते चलें कि इससे पहले पाकिस्तान ने आईएमएफ से भारी कर्ज लेने की जरूरत जताई थी। दरअसल पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है और उसकी मुद्रास्फीति में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। जिससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार जल्द ही खत्म होने वाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को आयात और कर्ज का भुगतान करने की जरूरतों के लिए करीब 12 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्जे की जरूर पड़ेगी। गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने जुलाई में ही चेतावनीभरे लहजे में कहा था कि- वॉशिंगटन कि पाकिस्तान को आईएमएफ से किसी प्रकार का कर्ज मिलते नहीं देखना चाहता है, जोकि चीनी बांडधारकों को बेलआउट करने के लिए जाए।