महाराष्ट्र में आदमखोर बाघ अवनि के गैर-कानूनी शिकार के बाद अब मामला राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। इस संबंध में विपक्षी पार्टियां महाराष्ट्र के वनमंत्री सुधीर मुंगतीवाड़ की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं। उनपर ‘अवनि’ को मार गिराने के आदेश देने का कथित आरोप है। इससे पहले ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) इस घटना की निष्पक्ष जांच के आदेश दे चुकी है। यह जांच 3 वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम द्वारा की जाएगी।
विपक्षी राजनीतिक पार्टियों जैसे कॉग्रेस, शिवसेना और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस से वन मंत्री को तत्काल पद से बर्खास्त किए जाने की मांग की है। उन्होने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ऐसा नही करते हैं और वन मंत्री अपने पद पर बने रहते हैं, तो वे उनके खिलाफ प्रदेश व्यापी प्रदर्शन करेंगे।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) द्वारा बिठाई गई जांच की निंदा करते हुए विपक्षी दलों ने कहा कि यह वनमंत्री के कारनामों को छुपाने और उन्हें बचाने की घृणित चाल है। वे पूरे मामले की सीबीआई द्वारा जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यच्छ संजय निरूपम ने इस मुद्दे को गंभीर करार देते हुए कहा कि हो सकता है कि इस पूरे वन्यजीव शिकारियों के इस गिरोह के साथ मुंगतीवाड़ का सीधा संबंध हो। उन्होने कहा कि यह साफ है कि मुंगतीवाड़ के शासन में हमारे वन्यजीव सुरक्षित नही हैं। वहीं, शिवसेना ने भी जांच को शर्मनाक करार देते हुए मंत्री को बचाए जाने और उन्हें क्लीन चिट दिलवाए जाने की एक पटकथा बताया है। शिवसेना की युवासेना के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा वे इस गैर-कानूनी शिकार को जायज ठहराना चाहते हैं।
अभिनेत्री रूपाली गांगुली ने कहा कि ‘सन डाउन, गन डाउन’ जैसा आसान नियम भी यह कहता है कि आप सूर्यास्त के बाद जानवरो का शिकार नही कर सकते। यह पूरी तरह से गैर-कानूनी है। एक सरकार एक बाघिन को मारने के लिए 5 लाख रुपए में भाड़े का शिकारी लाती है, और चुपके से रात में उसकी हत्या करवा देती है। इसे बर्दाश्त नही किया जा सकता। वन मंत्री को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। हम लोगों से अपील करते हैं, कि वे इस मार्च में अपनी पूरी ताकत के साथ उतरें। इस दौरान प्रियंका टिमिन्स, अनुपमा मुखर्जी और भरत शर्मा जैसे कई अन्य पशुप्रेमी भी मौजूद थे।
ज्ञात हो कि पशु कार्यकर्ता और केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी की आलोचना के बाद एनटीसीए ने मामले की जांच कराए जाने के आदेश दिए थे। एनटीसीए ने कहा कि उसने राज्य के वन विभाग से इस पूरी घटना की रिपोर्ट देने को कहा है। जिसमें उनसे घटना का विस्तृत ब्यौरा मांगा गया है।
गौरतलब है कि आदमखोर बाघ ‘अवनि’ अबतक कुल 13 लोगों की जान ले चुकी थी। इसी खतरे को भांपते हुए महाराष्ट्र वन विभाग के अधिकारियों ने एक शिकारी- असगर अली ( जो कि आधिकारिक रूप से सरकारी कर्मचारी नही है) से अवनि को गोली मरवा दी। सरकार का कहना है कि अधिकारिक लोगों ने शिकार का प्रयास किया था लेकिन वे असफल रहे। उसके बाद असगर अली ने आत्मरक्षा में गोली चलाई जिससे अवनि की मौत हो गई। अब इस पूरे मसले पर राज्य सरकार कठघरे में आ गई है।
बता दें कि असगर अली विवादित शिकारी नबाव शफत अली के बेटे हैं, जिन्हें पहले भी कई मौकों पर खूंखार जंगली जानवरों के शिकार करने के लिए बुलाया जाता रहा है।
साल 2006 की गणना के अनुसार भारत में कुल 1411 बाघ ही बचे हैं। बाद में बाघों के अस्तित्व पर खतरे को देखते हुए सरकार ने विभिन्न बाघ संरक्षण कार्यक्रम चलाए और वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कठोर कानून तैयार किए थे, जिसके बाद 2010 में इनकी संख्या 1706 हो गई थी। वहीं, साल 2014 तक आते आते देश में कुल 2226 देखे गए थे।