जब देश के सैनिकों की बात आती है, तब हमारा पूरा देश एक नजर आता है। देश का हर नागरिक हमारे सैनिकों का सम्मान करता है। जब भी हमारा कोई जवान या सैनिक शहीद होता है, वो देश के लिए शहीद होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता वह जवान पंजाब का है या फिर बंगाल का। अगर फर्क पड़ता है, तो सिर्फ उनके बलिदान को अलग-थलग करने से पड़ता है। देश की सीमा पर लाखों की संख्या में हमारे जवान 24 घंटे खड़े रहते हैं। चाहे वह किसी भी राज्य का हो या फिर किसी भी क्षेत्र का क्यों ना हो। जब वह सीमा पर खड़ा रहता है, तो वही सिर्फ भारतीय जवान होता है। जब हमारे जवान सीमा पर शहीद होते हैं, तो अलग-अलग राज्यों की सरकारों उनके परिवार को अलग-अलग मुआवजे की घोषणा करती है। जिससे किसी परिवार को कम किसी परिवार को ज्यादा मुआवजा मिलता है। जबकि एक देश के लिए सभी शहीद हुए होते हैं। आखिर हमारी राज्य सरकारों का मुआवजा अलग-अलग क्यों होता हैं..?
देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे वीर बहादुर सैनिक देश के अलग-अलग कोने यानि राज्यों से आते हैं। इन राज्य सरकारों की नजरों में इन सैनिकों के बलिदान की कीमत अलग-अलग हैं। जो इन सैनिकों का अपमान कराती हैं। कोई राज्य इन सैनिकों की बलिदान की कीमत 2 लाख देता है, तो कोई राज्य 1 करोड़। क्या अब हमारे देश के सैनिकों के बलिदान पर भेदभाव किया जाएगा ?
हमारी केंद्र सरकार को इन सैनिक की शहादत के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। तभी सभी सैनिकों को बराबर सम्मान और उनके परिवार को बराबर मुआवजा मिल पाएगा। सीमा पर शहीद होने वाला हर सैनिक एक जैसा हैं। सभी देश की रक्षा के लिए सीमा पर खड़े होते हैं। इसलिए सभी सैनिकों को एक बराबर सम्मान मिलना चाहिए। अगर राज्य सरकारों इन सैनिकों में भेदभाव करती है, तो रक्षा मंत्रालय को भेदभाव के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। हमें सोचना होगा उस मायूस मां के बारे में जिसने अपने बेटे को देश के लिए खो दिया और उन मासूमों के बारे में जिन्होंने अपने पापा को तिरंगे पर लपेटकर आते देखा हैं। हम सारे देशवासियों को इन परिवारों के बारे में कम से कम इतना तो सोचना होगा, कि इन परिवारों को उनका हक सही से मिल सके। आइए एक कदम इन परिवारों के लिए साथ मिलकर उठाते हैं। जिससे हमारे सैनिकों को एक समान सम्मान मिलें। जय हिंद जय भारत।