नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता से ‘मन की बात’ कर रहे हैं. उनका यह कार्यक्रम करीब 4 महीने बाद हो रहा है. दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की यह पहली ‘मन की बात’ है. पीएम मोदी ने मन की बात में कहा…
एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच ‘मन की बात’, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं. चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन मन की बात का मजा ही गायब था, एक कमी महसूस कर रहा था. हम 130 करोड़ देशवासियों के स्वजन के रूप में बातें करते थे. ‘मन की बात’ देश और समाज के लिए आइने की तरह है. ये हमें बताता हां कि देशवासियों के भीतर मजबूती, ताकत और टैलेंट की कोई कमी नहीं है.
कई सारे संदेश पिछले कुछ महीनों में आए हैं जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को मिस कर रहे हैं. जब मैं पढता हूं, सुनता हूं मुझे अच्छा लगता है. मैं अपनापन महसूस करता हूं. कई लोगों ने मुझे चुनाव की आपाधापी में, मैं केदारनाथ क्यों चला गया, बहुत सारे सवाल पूछे हैं. आपका हक है, आपकी जिज्ञासा भी मैं समझ सकता हूं. जब मैंने आखिर में कहा था कि हम तीन-चार महीने के बाद मिलेंगे, तो लोगों ने उसके भी राजनीतिक अर्थ निकाले थे और लोगों ने कहा कि अरे! मोदी जी का कितना विश्वास है, उनको भरोसा है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पूरी ताकत के साथ सत्ता में वापस आया है. 30 मई को नरेंद्र मोदी ने दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. अपने पहले शासनकाल में पीएम मोदी ने 53 बार मासिक कार्यक्रम के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के अंतिम कार्यक्रम में कहा था कि स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रोग्राम को कुछ समय के लिए रोक रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘…मार्च महीने में लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, वह भी इस बार बतौर प्रत्याशी चुनाव में जा रहे हैं. ऐसे में जब आचार संहिता लागू होगी तो वह मन की बात नहीं कर पाएंगे.’