लोकसभा चुनाव हो और हरियाणा के रोहतक लोकसभा सीट की लड़ाई ना हो, ऐसा शायद ही हो। हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट पिछले 15 सालों से कांग्रेस के खाते में आती रही है। चाहे वह 2014 लोकसभा की मोदी लहर समय की बात क्यों ना हो। इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का बोल बाला चलता आया है। वैसे आपको बता दें, रोहतक लोकसभा सीट से हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार तीन बार लोकसभा सांसद चुने जा चुके हैं। दीपेंद्र अपने विकास कार्यों के लिए रोहतक जनता के बीच जन सेवक के रूप में जाने जाते है। जहां 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी की लहर पूरे देश में थी, तो वहीं दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक सीट से बीजेपी उम्मीदवार ओमप्रकाश धनकड़ को 1.70 लाख से भी अधिक वोटों से हराया था, जबकि 4 हजार से अधिक वोट नोटा में पड़े थे। अगर 2009 की बात करें, तो दीपेंद्र हुड्डा ने आईएनएलडी के उम्मीदवार नफे सिंह राठी को 4.45 लाख मतों से हराया था, जिसमें हुड्डा को 70 फीसदी वोट मिले थे। रोहतक लोकसभा क्षेत्र के दायरे में 9 विधानसभा सीटें हैं- गढ़ी-सांपला-किलोई, महम, रोहतक, कलानौर, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, बेरी और कोशली। जिसमें कांग्रेस के पास 5 सीटें तो वहीं बीजेपी के पास 4 सीटें हैं। इस बार दीपेंद्र हुड्डा के सामने बीजेपी ने अपना उम्मीदवार अरविंद शर्मा को बनाया है, जो पहली बार रोहतक में आ रहे है। रोहतक की जनता ने अरविंद शर्मा को अभी तक देखा भी नहीं हैं, क्योंकि अरविंद शर्मा इससे पहले दूसरे सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। जिसके बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदलते हुए शर्मा जी को रोहतक भेज दिया। अब शर्मा जी रोहतक में बिना तैयारी चुनावी मैदान में कूदे है, देखना होगा इस रण में शर्मा जी अपनी साख बचा पाते है या फिर उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। अगर आंकड़ों पर नजर डाले, तो कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा के सामने कोई और पार्टी का उम्मीदवार टिकता नजर नहीं आ रहा हैं। जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अरविंद शर्मा को पैराशूट प्रत्याशी घोषित कर दिया है, तो वहीं दीपेंद्र हुड्डा जन सेवक के रूप में रोहतक की जनता के बीच जाने जाते है। ऐसे में रोहतक सीट की लड़ाई एक पैराशूट प्रत्याशी बनाम जन सेवक की हो जाती है। जिसका फैसला आने वाले समय में रोहतक की जनता स्वयं करेंगी।