लोकसभा चुनावों के लिए रणभूमि पूरी तरह सज चुकी है। जहां देश की सभी राजनीतिक पार्टियां अपने पूरे जोश के साथ चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं सभी प्रत्याशियों ने भी अपनी कमर कस ली हैं। एक तरफ पूरे देश में नामांकन पर्चा खरीदे-भरने का दौर चल रहा हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी नेताओं की रैलियां।
आज हम बात कर रहे हैं, एक ऐसे गुमनाम सांसद की, जिसे 5 साल तक वहां की जनता नहीं जान सकी। वैसे आपको यह सुनकर हैरानी हो रही होगी और मन में सवाल उठ रहा होगा आखिर कैसे एक सांसद को वहां की जनता नहीं पहचान पाई।
यह सांसद कोई और नहीं बल्कि 15वीं लोकसभा में जमुई संसदीय क्षेत्र के सांसद भूदेव चौधरी थे। जो 2009 लोकसभा चुनावों में बिहार के जमुई लोकसभा से जीतकर दिल्ली पहुंचे थे। जिसके बाद 2014 की मोदी लहर में इस सीट से एलजेपी-एनडीए गठबंधन से रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने यहां से जोरदार जीत दर्ज की। चिराग पासवान एक युवा नेता हैं, जो युवाओं में बेहद ही लोकप्रिय हैं। जहां चिराग एनडीए के उम्मीदवार के रूप में खड़े है, तो वहीं राजद ने भूदेव चौधरी को एक बार फिर इस सीट की कमान दी है।
चिराग अपने विकास कार्यों के लिए जनता के बीच पहचान रखने वाले सांसद के तौर पर जाने जाते है। चिराग ने जमुई को विकास कार्यों के मुद्दों पर 99 से 9 पर ला खड़ा किया है। जबकि रालोसपा पूर्व सांसद भूदेव चौधरी को आज भी जनता सही से पहचानती ही नहीं। भूदेव को गुमनाम सांसद के रूप में जाना जाता है। भूदेव ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसा कोई कार्य नहीं किया, जिससे उन्हें जनता पहचान पाएं। भूदेव के कार्यकाल के दौरान जहां जमुई संसदीय क्षेत्र पिछड़ा हुआ माना जाता था, तो वहीं आज जमुई विकास के शीर्ष पथ पर दौड़ रहा हैं। इसे चिराग की मेहनत ही कहेंगे, जो जमुई को एक नई पहचान दिलाई। महागबंधन ने भूदेव चौधरी को टिकट देकर इस लड़ाई को जिस तरीके से बराबर बनाने की कोशिश की है। उसे देखकर लगता है, इस बार इस सीट पर घमासान तय है। देखना होगा इस बार राजद के भूदेव एनडीए के चिराग पासवान को कितनी चुनौती दे पाते हैं।