यह सवाल मेरे दिमाग में पिछले कई महिनों से उपज रहा है। मैं अपने अंदर-अंदर ही सोच रहा हूं। आखिर यह फैसला सही था। या फिर तुगलकी फरमान...। इस सवाल ने मुझे बहुत ही परेशान किया है। आखिर क्यों की गई नोटबंदी..? अगर करनी थी तो एक प्लानिंग के तौर पर क्यों नहीं किया गया..? चलो अब तो बाजार में नये नोट आ गए। वैसे जरा सोचिए..। कालाधन और आतंक की कमर टूटने वाली थी। इसके बावजूद भी ना कालाधन वापस आया। ना सीमा पर आतंकियों का हमला कम हुआ। इतना जरूर कह सकते है। हमारे राजनेताओं के अच्छे दिन जरूर आए। नोटबंदी के बावजूद भी राजनीतिक पार्टियां चुनावी प्रचार-प्रसार में खूब पैसा खर्च करते नजर आ रहे हैं। इसे आप क्या मानते है..? क्या कालाधन खत्म हो गया है..? नहीं..! बल्कि आम जन की कमर टूटी हैं। जो रोजगार के लिए भटक रहा है। परेशान हो रहा है। इसके बावजूद भी देश में रोजगार पैदा नहीं हो पा रहे है। सिर्फ चाय-पकौड़ा बेचना ही रोजगार रह गया है। जो मैं नहीं बल्कि देश के प्रधानसेवक कहते हैं। अगर हर बेरोजगार चाय-पकौड़ी बेचना शुरू कर देगा। तो खरीदगा कौन..? आज हर घर में बेरोजगार बैठे हैं। जो हमारे देश का दुर्भाग्य है। चलो माना भी लेते है। नोटबंदी-जीएसटी से टैक्स चोर रुकी है। अगर आपकी इनकम ही नहीं होगी, तो आप टैक्स क्या पे करेगें ? देश में नई क्रांति की शुरूआत हुई है। लोगों को लगने लगा है, हमारा देश आगे बढ़ रहा है। लेकिन मुझे नहीं पाता किस दिशा में आगे बढ़ रहा है। आम जन लगातार परेशानियों का सामना कर रहा है। और हम सोच रहे है। सरकार जो कर रही है। वह हमारे आने वाली पीढ़ी या देश के भविष्य को संवारेगा। अगर वर्तमान ही सही नहीं हो..। तो भविष्य कैसे ठीक हो सकता है। महाभारत के एक श्लोक में कहा गया है। अपने कर्म करते चलो, फल की इच्छा मत रखो। क्योंकि फल अंनत-आदि हैं। इसलिए हमारी सरकारों को वर्तमान और गरीबी को देखते हुए काम करना चाहिए। तभी देश विकास की ओर कदम बढ़ाएगा। अन्यथा कई बार नोटबंदी कर लो या फिर हवाई योजनाएं चला लो। कुछ भी नहीं होगा..। क्योंकि आम जन ही देश का सबसे सर्वोच्च है। जो इस देश की सच्ची रक्षा और भक्ति करता है। वह बिना कुछ सोचे देश के लिए काम करता है। जबकि हमारे सभी राजनेता हर बात पर अपना स्वार्थ पहले खोजते नजर आते है। अगर आतंक, कालाधन के खिलाफ कदम उठाना ही है। तो हमारे सरकारें क्यों नहीं उठाती..? ये कदम इसलिए नहीं उठते क्योंकि इन मुद्दों से कोई वोट बैंक नहीं मिलता। जिसके कारण ये कदम आज तक थम है।