देश में इस वक्त जहां चुनावी पारा आसमान पर है। तो वहीं झारखंड की राजनीति भी इस भयानक ठंड में भी जला रही है। झारखंड भारत की खनिज राज्य माना जाता है। जहां खनिजों का खदान है। इसके बावजूद भी प्रदेश के हालत गरीब-बेरोजगारी से खस्ता है। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था से लेकर शासन प्रणाली पर कई सवाल उठते आए है। चाहे मुंडा सरकार हो या फिर दास का शासन ही क्यों ना हो। प्रदेश में लगातार नक्सली गतिविधियां भी चलती रहती है। जिसके कारण हमारे जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ती हैं। कहीं ना कहीं यह लगता है। राज्य विकास के मार्ग से भटका हुआ है। राज्य अपनी पहचान बनाने में काफी दूर नजर आ रहा है। जो यहीं की जनता के लिए बेहद खतरनाक माना जा सकता है। अगर यहीं हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश की जनता को अपने अपना पेट भरने के लिए कहीं दूसरे राज्य की ओर जाना पड़े। प्रदेश में लगातार गरीबी-बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। वैसे बेरोजगारी की आग में सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि पूरा देश जल रही है। एक तरफ देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। तो दूसरी तरफ उद्योग-धंधे कम होते जा रहे है। प्रदेश में पर्यटन की दशा इतनी खस्ता हो रही है। कि यहां आने पर पर्यटक कई सोचने पर मजबूर हो जाता है। जिससे यह साफ होता है। प्रदेश में कही ना कही नक्सलवाद आज भी जिंदा है। अगर हम स्वच्छता की बात करें, तो सभी राज्यों से झारखंड सबसे पीछे नजर आता है। यहां आज भी जातिवाद, नक्सलवाद, रंगवाद बचा है। जो राज्य विकास के लिए कैंसर से भी बड़ा कलंक है। इन सभी को किनारा कर प्रदेश की जनता को विकास और आधुनिक दुनिया की ओर बढ़ना चाहिए। राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक को इस राज्य की जिम्मेदार उठानी चाहिए। नहीं तो यह राज्य अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं पिछड़ता रहेगा। जो आधुनिक भारत निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।