इस वक्त पूरे भारतवर्ष में चुनाव का महाकुंभ चल रहा है। पूरा भारत चुनावी माहौल में डूबा हुआ हैं। देश के घर-घर राजनीतिक झंडे लगें हुए हैं। देश परिवार अलग-अलग विचार धाराओं में बंटा हुआ है। वैसे हमारे देश में लगातार चुनाव होते रहते है, कभी ग्राम पंचायत तो, कभी लोकसभा और विधानसभा। यहीं हमारे देश की सबसे बड़े लोकतंत्र और असली भारत की पहचान है। 2019 आम चुनाव के साथ चार राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने जा रहे हैं। जिसमें से एक ओड़िशा है। जब किसी राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हो, तो राज्य में चुनावी गर्म बढ़ जाता है। जिससे राज्य पूरी तरह चुनावी रंग में डूबा जाता है। वैसे आपको बात दूं, उड़ीसा विधानसभा में 147 सीटें हैं। उड़ीसा विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने लगभग अपने-अपने उम्मीदवार घोषित करने शुरू कर दिए हैं। जहां कांग्रेस ने संबलपुर विधानसभा सीट से डॉ अश्वनी पुजारी, घोसीपुरा से निरंजन पटनायक, चौदवार कटक से जगदीश मोहंती, कटक सदर से अभिषेक महानंदा, जयदेव से सुकांता तैदी भोई, भुवनेश्वर सेंट्रल से राजीव पटनायक, भुवनेश्वर नॉर्थ से इतिश प्रधान, बेगुनिया से प्रदीप साहू, चिलिका से प्रदीप स्वैन को उम्मीवार बनाया है, तो वहीं अन्य पार्टियां भी अपने उम्मीदवार घोषित करने में लगें हैं। जिन राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हैं, उन राज्यों में राजनीतिक पार्टियों को भी चुनाव प्रचार प्रसार करने का दबाव बना हुए हैं। जिससे उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना भी काफी मुश्किल भर हो रहा हैं। ओड़िशा में पिछले 15 सालों से बीजू जनता दल पार्टी की सरकार हैं। इस बार ओड़िशा की लड़ाई बेहद रोचक होने वाली है, क्योंकि हर राजनीतिक पार्टी लोकसभा चुनाव के बहाने ओड़िशा को साधने की कोशिश कर रही हैं। इसलिए उड़ीसा की लड़ाई इस बार पहले के मुकाबले रोचक होने वाली है। जहां कांग्रेस इस बार एक नई सोच व नई विचारधारा के साथ देश में नई राजनीति की शुरूआत कर रही हैं, तो वहीं अन्य पार्टियां भी युवाओं को साधने में लगी हुई हैं। अगर कांग्रेस की बात करें, तो ओड़िशा में कांग्रेस पहले सत्ता में रह चुकी हैं। इस बार कांग्रेस एक बार फिर उड़ीसा में अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है। ये तो वक्त ही बताएंगा, कांग्रेस उड़ीसा की जनता का दिल जीत पाती हैं या फिर उसे एक बार फिर संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।