हरियाणा के रोहतक सीट को लेकर लगातार देश की सियासत गर्म हो रही है। जहां एक तरफ बीजेपी ने इस सीट पर चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए अपने शीर्ष स्तर के नेताओं के मैदान में उतारा हैं, तो वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार दीपेंद्र हुड्डा अकेले मैदान में है। बीजेपी इस सीट पर अपना पूरा फोकस कर बैठी है, तो वहीं कांग्रेस पिछले 15 सालों से इस सीट अपना मजबूत दांव ठोकर बैठी है। इस सीट के पीछे बीजेपी, कांग्रेस सहित सभी राजनीति पार्टी पड़ी हुई है। जिसका मुख्य कारण यहां पिछले 15 सालों में विकास है। 2004 में रोहतक लोकसभा क्षेत्र हरियाणा के एक पिछड़े क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था। 2004 से 2014 तक किए गए विकास कार्यों से रोहतक लोकसभा की पहचान ही बदल गई। मगर इस बार रोहतक सीट को लेकर राजनीति पार्टियों में घमासान मचा हुआ हैं। जहां बीजेपी ने हरियाणा की राजनीति में जाने माने नेता अरविंद शर्मा को मैदान में उतारा हैं, तो वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर एक बार फिर दीपेंद्र पर भरोसा जताया है। देखना होगा रोहतक की जनता किस प्रत्याशी पर विश्वास कर पाती हैं। पिछले 15 सालों में रोहतक शिक्षा का सबसे बड़ा हब बना है। यहां देश की टॉप-5 संस्थाएं है, जिसमें आईआईएस, एफडीडीआई, एम्स, आईटीआई, आईएचएम जैसे संस्थान शामिल है। वैसे आपको बता दें, रोहतक की सीट पर कांग्रेस का दबदबा ज्यादा रहा है, परंतु इस बार की लड़ाई कांग्रेस के लिए इतनी आसान नहीं होगी, जितनी पहले रही हैं। इस बार बीजेपी ने इस सीट पर अपने स्टार प्रचारों को प्रचार की जिम्मेदार दी है। जिसका रोहतक जनता को बीच असर पड़ना तय माना जा रहा है। देखना होगा इस सीट पर कांग्रेस अपनी साख बचा पती है या नहीं। इस सीट को विधानसभा चुनावों को लेकर भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने है। हर पार्टी यहीं चाहती हैं ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीट जीतकर विधानसभा चुनावों को एक तरफ बनाया जाएं। जिससे राज्य में सरकार बनाने में आसानी हो।