देश की शिक्षा व्यवस्था और गिरते शिक्षा स्तर को लेकर लगातार विशेषज्ञों द्वारा चिंता जाहिर की जा रही है। मगर हमारी शासन प्रणाली इस चिंता को सिर्फ एक चिंता तक ही सीमित रखना चाहती है। जो हमारी शिक्षा प्रणाली व शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है।
देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमारी वर्तमान की बीजेपी सरकार कुछ भी करती नहीं दिखाई दे रही है। देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों के हालात बेहद चिंता जनक है। इन विश्वविद्यालयों में ना शिक्षक पूरे है और ना ही यहां की व्यवस्था सही से चल रही है। कुछ ही शीर्ष विश्वविद्यालयों को छोड़ दे, तो देश के सभी विश्वविद्यालयों के हालात बेहद गंभीर है। इन हालातों में देश के युवा कैसे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते है। मान लीजिए इन विश्वविद्यालयों में युवा पढ़ भी लेता है और पास भी हो जाता है, ऐसे में सवाल उठता है, क्या इन युवाओं के पास उतना ज्ञान और जानकारी होगी, जितनी उनके उनके पास डिग्री है ?
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में ‘शिक्षक-पुस्तक आंदोलन’ की एक नई शुरूआत हुई है। आपको बता दें, यह आंदोलन पिथौरागढ़ के युवाओं ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर किया है। इन युवाओं का कहना है- विद्यालय में ना पुस्तक है ना शिक्षक है। इसलिए वह सरकार और प्रशासन से पुस्तक और शिक्षक की मांग कर रहे है। इन युवाओं को आंदोलन में बैठे लगभग एक महीने से ऊपर का समय हो गया है। इतने लंबा समय होने के बावजूद भी अभी तक इन युवाओं की मांगों को सुनने प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी व नेता, मंत्री नहीं आया है।
वैसे इन युवाओं के इस आंदोलन को देखकर गिरती व खस्ता होती शिक्षा व्यवस्था के लिए एक नई किरण दिखाई दे रही है। पिथौरागढ़ के युवाओं का शिक्षा व्यवस्था को लेकर यह आंदोलन देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए अब तक का सबसे बड़ा कलंक है। हम विश्वगुरु बनने की बात तो करते है, मगर हम अपने युवाओं को सही शिक्षा ही मुहैया नहीं करा पा रहे है। क्या हम बिना शिक्षित हुए विश्वगुरु बन जाएगें या फिर विश्वगुरु का दर्जा कुछ अमीर घरों के सदस्यों को ही मिल पाएगा। जो शिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों का सहारा लेते है।
हमारा देश विश्वगुरु बने या ना बने इससे हमारे देश की गरीब जनता को कुछ भी मिलने वाला नहीं है। सबसे पहले हमें अपनी मूलभूत सुविधाओं को पूरा करना होगा, तभी हम विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर हो सकते है।
पिथौरागढ़ के इस ‘शिक्षक-पुस्तक आंदोलन’ को अभी तक देश के कई राज्यों के युवाओं ने समर्थन दिया है। इस आंदोलन में कितनी ताकत और मजबूती है, यह तो आने वाला समय ही बता पाएंगा, मगर भविष्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर इस आंदोलन की चर्चा जरूर होगी। आंदोलन कर रहें युवाओं ने अभी तक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर अपनी बात रखने की कोशिश की है। हां..! आंदोलन कर रहे युवा लगातार आंदोलन को बड़ा रूप देने की धमकी दे रहे है। इसके बावजूद भी राज्य की त्रिवेंद्र सरकार अभी तक कुंभकर्णी नींद में सोयी दिखाई दे रही है। देखना होगा राज्य की बीजेपी सरकार इन युवाओं की आवाज सुनती भी है या फिर इन युवाओं को अपना यह आंदोलन खत्म कर अपने सपनों को उड़ान देने के लिए बड़े शहरों की ओर आना होगा।