जयपुर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज विधानसभा में राज्य का बजट पेश करेंगे। प्रदेश के व्यापारियों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं, क्योंकि फिलहाल बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा है और औद्योगिक निवेश थमा हुआ है। व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में मुख्यमंत्री प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए रोडमैप पेश करेंगे।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही वित्त मंत्री का दायित्व भी संभाल रहे हैं। वह फरवरी में लेखानुदान पेश कर चुके हैं और अब बुधवार को मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का पूर्ण बजट पेश करेंगे।
खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही राजस्थान की मौजूदा सरकार
राजस्थान की मौजूदा सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही है। सरकार के बही खाते की बात करें तो इस वर्ष मार्च में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में सरकार अपने बजट अनुमानों की 95.60 प्रतिशत ही आय हासिल कर पाई है जो कि इससे पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले दो प्रतिशत कम है।
आचार संहिता के कारण सरकार का खर्च भी कम हुआ
हालांकि चुनावी वर्ष होने और चुनाव आचार संहिता के कारण सरकार का खर्च भी कम हआ है। बजट अनुमानों के मुकाबले 90 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है, लेकिन वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि पिछली सरकार जाते-जाते विभिन्न विभागों में कई बड़े काम शुरू करा गई जो इस वित्तीय वर्ष में पूरे हो पाएंगे और इनके लिए सरकार को बड़ी धनराशि की जरूरत होगी।
इसके अलावा खुद सरकार की कई बड़ी घोषणाएं जैसे किसान कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता, स्वास्थ्य का अधिकार आदि हैं। इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए भी सरकार को काफी पैसा चाहिए।
चुनाव से पहले कांग्रेस ने किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन अभी तक सहकारी समितियों के कर्ज माफ किए गए हैं। इसी तरह बेरोजगारी भत्ते की घोषणा भी इसी वित्तीय वर्ष में पूरी करनी है। इसके अलावा यदि मानसून ने साथ नहीं दिया तो राज्य में पेयजल की स्थिति बहुत विकट हो जाएगी।
जहां तक केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि का सवाल है तो इस बार राज्य अंशदान के रूप में करीब 44 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिलेंगे, लेकिन इसके अलावा किसी अन्य तरह की सहायता या विशेष पैकेज राजस्थान के लिए घोषित नहीं किया गया है।
कोई अतिरिक्त सहाया मिलने की उम्मीद भी नहीं
अब राजस्थान और केंद में विरोधी दलों की सरकारें हैं, ऐसे में कोई अतिरिक्त सहाया मिलने की उम्मीद भी नहीं है, उल्टे केंद्र से समय पर राशि मिलने में समस्या भी आ सकती है।
इन सब स्थितियों को देखते हुए इस बार के बजट में राजस्थान की जनता को ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। सूत्रों की मानें तो इस बार जनता पर सेस या कुछ अन्य शुल्कों के जरिये भार बढ़ाया जा सकता है।
पेट्रोल और डीजल पर वैट में चार-चार प्रतिशत की बढ़ोतरी कर मुख्यमंत्री ने इस बात के संकेत दे भी दिए हैं कि जनता कुछ कडे़ फैसलों के लिए तैयार रहे। इसके साथ ही बजट में कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद भी नहीं है। ज्यादा जोर इस बात पर ही रहेगा कि चुनाव में किए गए वादे पूरे कर दिए जाएं और जो काम शुरू हो चुके हैं, उन्हें पूरा किया जाए।