दुनिया को अलविदा कहने के बाद 16 वर्षीय उमेश लोगों की नजरों में हीरे बन गया. बेटे की मौत के बाद पति और परिजनों ने अहम फैसला लेते हुए उसका नेत्र दान कर दिया. जिससे कि उसके आंख से दूसरों की जीवन रौशन हो सके. परिजन तो बेटे का पूरा अंग दान करना चाहते थे, लेकिन अच्छे से व्यवस्था नहीं होने की वजह से अंग दान नहीं किया जा सका.
दरअसल पूरा मामला महासमुंद जिले पिथौरा ब्लांक के अरंड गांव का है. जहां रविवार को 11वीं का छात्र उमेश पटेल खेत में काम कर रहा था, उसी दौरान करंट के चपेट में आ गया. पिता देवानंद पटेल सहित परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. होनहार बालक के मौत से दु:खी परिवार ने एक बड़ा फैसला करते हुए पिथौरा में ही नेत्र निकाल ली गई. फिर देर शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया.
मृतक के परिजन उमेश की किडनी, लीवर, नेत्र और जरुरत का अंग दान करना चाहते थे, जिससे जरूरतमंद की मदद हो जाए, लेकिन पिथौरा अस्पताल में व्यवस्था नहीं होने और शव पेटीफ्रीजर की भी व्यवस्था नहीं होने की वजह से अंग नहीं निकाला गया.
महासमुंद के प्रभारी सीएमएचओ डॉ आरके परदल ने बताया कि नेत्र के अलावा अन्य अंगों का दान लेने के लिए स्थानीय स्तर पर व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से बाकी अंग नहीं निकाला जा सका. इसकी व्यवस्था रायपुर के अस्पतालों में हैं.