जयपुर स्थित जेएलएन मार्ग पर बिरला मंदिर के पीछे मोती डूंगरी पर अपने गौरवशाली इतिहास के लिए सीना ताने खड़े शिव मंदिर शंकर गढ़ी के द्वार खुलने का भक्त एक साल तक इन्तजार करते है. इस मंदिर को अंत्यन्त चमत्कारी माना जाता है. यह मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पहले बानया गया था. मंदिर में सिर्फ भोलेनाथ शिवलिंग के रुप में विराजमान है. यह भी कहा जाता है कि पहले शिव के साथ शिव परिवार की स्थापना की थी लेकिन कुछ समय बाद उनकी प्रतिमाएं गायब हो गई थी.
इसके पश्चात फिर शिव परिवार की स्थापना की गई लेकिन एक बार फिर शिव परिवार अदृश्य हो गया. किवदंती है कि मोती डूंगरी मंदिर में जब भी महादेव के साथ परिवार की मूर्तियां स्थापित की थीं. तब वह बाहर पहाड़ी पर मिलीं. तबसे अकेले महादेव ही यहां विराजित हैं. इस घटना के बाद किसी ने फिर मूर्तियों को स्थापित करने का साहस नहीं किया. यहां राज परिवार की ओर से पूजा-अर्चना की जाती थी. यह मंदिर साल में एकबार ही खुलता है इसलिए शिवरात्रि के दिन इसके प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आकर्षण होता है. करीब एक किलोमीटर की चढ़ाई कर एवं कई घंटों तक लाइन में लग कर लोग यहां भगवान के दर्शन के लिए आते हैं.