प्रमुख शासन सचिव ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि सोमवार रात को लगभग 10.30 बजे जैसे ही ड्यूटी डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टॉफ ने वार्ड में धुंआ देखा, उन्होंने वहां मौजूद 22 बच्चों को 6 से 7 मिनट के भीतर दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद एतिहात के तौर पर पास वाले वार्ड के 25 बच्चों को भी दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने बताया कि सभी बच्चे सुरक्षित है और उन्हें अलग वार्डों में शिफ्ट कर उनका निर्धारित उपचार किया जा रहा है। उन्होंने ड्यूटी डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टॉफ द्वारा तत्परता दिखाते हुए बच्चों को किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाते हुए तत्काल दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने के कार्य की सराहना की।
प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि यह घटना कैसे हुयी, इसकी जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गयी है जो 48 घंटे के भीतर में जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी। जिस कम्पनी ने यह वार्ड बनाया है, उनके प्रतिनिधियों को भी दिशा-निर्देश दिए गये हैं कि वे पूरे सिस्टम की पुनः जांच कर इसे रिस्टोर करें। इसके साथ ही भविष्य में इस प्रकार की किसी घटना की पुनरावृति नहीं हो इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों की इलेक्ट्रिक एवं फायर यूनिटों के तकनीकी ऑडिट के निर्देश दिए। जांच कमेटी में डॉ. जगदीश सिंह, वरिष्ठ आचार्य शिशु औषध, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. मनीष शर्मा, अधीक्षण अभियंता चिकित्सा शिक्षा नीरज जैन, अधिशाषी अभियंता विद्युत पीडब्ल्यूडी श्री मुकेश सिंघल, अधिशाषी अभियंता विद्युत, राजमेस जितेन्द्र मोहन तथा अधिशाषी अभियंता सिविल एएन रावत शामिल है।