उम्र चाहे कम हो लेकिन उनका सौम्य अंदाज और राजनीति की समझ संकेत देती है कि वह लंबा रास्ता तय करेंगे। उनमें पिता की झलक साफ नजर आती है और पिता की विरासत को वह बखूबी संभाल भी रहे हैं। वह मृदुभाषी हैं और उनका सरल व्यवहार हर किसी पर असर करता है। वह कभी किसी विवादों में नहीं पडे़ न ही कभी कोई गलतबयानी की। कांग्रेस की युवा ब्रिगेड में उनका नाम सबसे पहले आता है और वह राहुल गांधी के करीबी भी हैं। राहुल गांधी ने उन्हें इस बार राजस्थान चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की जो कम उम्र में ही राजनीति में आ गए और आज कांग्रेस का ऐसा सितारा बन गए हैं जिसे कांग्रेस का भविष्य बताया जाता है।
सहारनपुर में हुआ जन्म
सचिन पायलट का निजी और सियासी जीवन बेहद दिलचस्प है। उनका जन्म 7 सितंबर 1977 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ। उन्होंने शुरुआती शिक्षा वायुसेना बाल भारती स्कूल, नई दिल्ली से हासिल की। इसके बाद सेंट स्टीफेंस कॉलेज दिल्ली से स्नातक किया। आईएमटी गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश से आगे की पढ़ाई की। स्नातक करने के बाद सचिन ने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल, फिलाडेल्फिया, अमेरिका से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। कुछ समय उन्होंने बीबीसी दिल्ली ब्यूरो में काम किया। इसके बाद दो साल तक अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स के साथ काम किया। राजनीति उन्हें विरासत में मिली। हालांकि युवावस्था में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। पिता राजेश पायलट नामी कांग्रेस नेता थे, घर का माहौल ऐसा था कि उनकी दिलचस्पी भी राजनीति में जग गई। पिता के निधन के बाद वह पूरी तरह राजनीति में उतर आए और 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद भी पहुंचे।
26 साल की उम्र में संसद पहुंचे
साल 2004 में सचिन पायलट पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने अपने पिता की सीट दौसा से अपने प्रतिद्वंदी को करीब 1.2 लाख वोटों से हराकर धमाकेदार अंदाज में संसद में प्रवेश किया। इसी साल वह गृह मामलों पर लोकसभा की स्थायी समिति के सदस्य बने। सचिन पायलट साल 2006 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य बने। 2009 के लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट ने अजमेर में भारी अंतर से भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता किरण महेश्वरी को हराया। इस जीत का इनाम उन्हें सूचना एवं संचार राज्य मंत्री के रूप में मिला। साल 2012 में सचिन कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री बने और 2014 तक इस पद पर बने रहे।
सचिन पायलट का निजी जीवन
सचिन पायलट गुज्जर समुदाय से संबंध रखते हैं। पिता राजेश पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और मां रमा पायलट एक गृहणी। उनकी बहन का नाम सारिका पायलट है। सचिन पायलट की शादी 2004 में नेशनल कांफ्रेस सुप्रीमो फारुक अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला से हुआ। उनके दो बेटे आरान पायलट और वेहान पायलट हैं।
सचिन पायलट को संगीत और उन्हें फिल्में देखना भी पसंद है।वह अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते हैं जिसके चलते वह रोजाना योगा और कसरत करते हैं। उनकी पसंदीदा अभिनेत्री नरगिस, मधुबाला है। उनका पसंदीदा खेल क्रिकेट है। राजनीति में व्यस्तता के बीच वह किसी तरह वक्त इसके लिए वक्त निकाल ही लेते हैं।
पहली बार लड़ रहे विधानसभा चुनाव
राजस्थान के रण में इस बार भाजपा और वसुंधरा राजे को जबरदस्त चुनौती मिल रही है तो इसकी एक वजह सचिन पायलट भी हैं। राहुल गांधी ने सचिन को प्रदेश की कमान सौंपी है। वह पहली बार टोंक से विधानसभा चुनाव भी लड़ रहे हैं। अशोक गहलोत, सीपी जोशी, गिरिजा व्यास जैसे अनुभवी नेताओं के बीच सचिन पायलट को महत्वपूर्ण पद सौंपना कहीं न कहीं ये बताता है कि कांग्रेस हाईकमान को उनपर कितना भरोसा है। अगर इस बार कांग्रेस की सत्ता में वापसी होती है तो सीएम पद के भी वह सबसे प्रबल दावेदार होंगे।