तो इसलिए कोहली कर रहे हैं ड्यूक गेंद की वकालत…

तो इसलिए कोहली कर रहे हैं ड्यूक गेंद की वकालत… Date: 12/10/2018
दुनिया के नंबर एक टेस्ट बल्लेबाज विराट कोहली ने टेस्ट मैचों में गेंदों के इस्तेमाल को लेकर मुहीम छेड़ दी हैं। उनका कहना हैं की क्रिकेट के हर एक मैदान में वो ड्यूक गेंद से टेस्ट क्रिकेट खेलना पसंद करेंगे। जबकि इससे पहले भारत के स्टार ऑफ स्पिनर गेंदबाज आर. आश्विन  भी एसजी की तुलना में कूकाबूरा की गेंद को बेहतर बता चुकें हैं। ऐसे में ये एक जंग की तरह हो गया हैं की टेस्ट क्रिकेट को कौन सी गेंद से खेलना बेहतर साबित होगा। जिसमें एसजी, कूकाबूरा और ड्यूक्स इन तीनो गेंदों का इस्तेमाल होता हैं। ऐसे में आज आपको बतातें हैं की आखिर तीनो गेंदों में क्या बारीक अंतर जो उन्हें ख़ास बनता हैं।
 
भारत में इस्तेमाल होने वाली एसजी गेंद को नाटकीय अंदाज में कोहली और अश्विन ने नकार दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों का मनना हैं कि ऑस्ट्रेलिया में मशीन से बनी कूकाबूरा बॉल या फिर इंग्लैंड में हाथ से बनने वाली ड्यूक गेंद की क्वॉलिटी ज्यादा बेहतर है।
 
एसजी गेंद की सीम टेस्ट मैच की पारी के अंत तक स्पष्ट बनी रहती है। इससे स्पिनर्स को बॉल ग्रिप करने में मदद मिलती है और तेज गेंदबाजों को भी बॉल को उठी हुई सीम के साथ रिलीज करने में फायदा होता है। यह गेंद तब ज्यादा स्विंग करता है, जब इस गेंद की एक साइड की शाइन बरकरार रखी जाती है, तब यह अच्छा रिवर्स स्विंग होती है। इस गेंद से स्पिनर्स को ज्यादा ड्रिफ्ट और पेसरों को अच्छी रिवर्स स्विंग मिलती है। लेकिन कोहली और अश्विन मानते हैं कि अब इस गेंद की सीम ज्यादा लंबे समय तक उभरी हुई नहीं रहती।
 
कूकाबूरा की सीम चूँकि मशीन से गुथी हुई होती हैं। जिसके कारण इसकी सीम ज्यादा उभरी हुई नहीं होती हैं। ऐसे में जब गेंद नई होती है तो हरकत करती हैं, मगर जैसे ही एक बार पुरानी होती हैं। इस गेंद से बल्लेबाजी करना आसान हो जाता हैं। गेंदबाज जो उंगलियों की मदद से गेंद को स्पिन करते हैं, उन्हें बोलिंग में गेंद से खास मदद नहीं मिलती, इस कारण वह पिच से भी कोई खास लाभ नहीं ले पाते। हालांकि कूकाबूरा की गेंद से लेग स्पिनर और हिट-दडेक (पिच की सतह) वाले बोलर्स को अच्छी खासी मदद मिलती है।
 
ड्यूकी की सीम हाथों से सिली जाती हैं। जिसके चलतें इसकी सीम ज्यादा उभरी हुई होती हैं। यह गेंद इंग्लैंड में बनायी जाती हैं। इस गेंद की सीम 50 ओवर के खेल के बाद भी बनी रहती है। यह गेंद बहुत ज्यादा सीम और स्विंग के साथ बोलिंग को रास आती है। इंग्लैंड में सीम और स्विंग बोलर इसीलिए कामयाब हो पाते हैं। वहाँ की पिचों पर इस गेंद से टेस्ट क्रिकेट सदियों से खेला जाता आ रहा हैं।
 
इन-इन देशों में हैं गेंदों का बंटवारा 
 
कूकाबूरा की गेंद से टेस्ट क्रिकेट की अगर बात करें, तो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका और जिम्बाब्वे जैसे देश इसी गेंद से खेलते हैं। इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज में अगर टेस्ट मैच आयोजित हो रहे हैं, तो फिर यहां ड्यूक की बॉल इस्तेमाल होती है, जबकि एसजी ( SG ) की गेंद का इस्तेमाल केवल भारत में ही होता है।

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