वाराणसी से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने पर संशय बरकरार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीटो लगा दिया है. राहुल के मुताबिक, नेहरू, शास्त्री और इंदिरा तक परम्परा रही है कि बड़े विपक्षी नेताओं को जबरन हराने की कोशिश ना हो, कोशिश हो कि वो जीतकर संसद में आएं, इससे लोकतंत्र मज़बूत और स्वस्थ रहेगा.
राहुल गांधी का मानना है कि राजीव गांधी के वक्त हेमवती नंदन बहुगुणा को अमिताभ बच्चन से हरवाकर गलत परम्परा डाली गई. उस वक़्त और भी जगह ऐसा हुआ, लेकिन 1989 और 1991 में राजीव जी ने भी बदलाव करते हुए परम्परा कायम रखी. राहुल ने जवाहर लाल नेहरु के लोहिया और अटल प्रेम का हवाला दिया.
वाराणसी से चुनाव लड़कर मोदी को घेरना चाहती हैं प्रियंका
इस पर प्रियंका ने राहुल की बात से सहमति जताई, लेकिन साथ में कहा कि मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, सियासी विरोधियों को व्यक्तिगत दुश्मन मानते हैं, विचारधारा के मतभेद को कुचलना चाहते हैं, वो अटल या लोहिया नहीं हैं, इसीलिए उनको बनारस में ही जाकर घेरना चाहिए.
वहीं, राहुल का मानना है कि मोदी की अपनी राजनीति है, हमको उसी रास्ते पर नहीं चलना. वो कांग्रेसमुक्त भारत की बात करते रहे, हुआ क्या? हम बीजेपी मुक्त या विरोधी मुक्त भारत का नारा नहीं देते. हमको अपने सियासी मूल्यों को नहीं छोड़ना चाहिए. अब इस मुद्दे पर आखिरी फैसला यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका को मिलकर लेना है. जल्दी ही तीनों एक साथ बैठक करके फैसला कर लेंगे.
सोनिया गांधी लेंगी आखिरी फैसला
बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के रुख के बाद प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने की संभावना कम हो गई है. हालांकि, खुद प्रियंका अभी भी मोदी को चुनौती देने को बेकरार हैं. वो रिसर्च, सर्वे, सियासी समीकरण सब जोड़ घटा रही हैं.
अब फैसला सोनिया को लेना है, लेकिन राहुल का वीटो काफी कुछ कहता है. शायद यही वजह है कि रायबरेली में प्रियंका ने वाराणसी से लड़ने के सवाल के जवाब में कहा कि वो तैयार हैं, लेकिन पार्टी ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है, पार्टी जो कहेगी वही करूंगी.