यूपी के राज्यसभा चुनाव के दौरान आखिरी वक्त में गच्चा देने के चलते रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के 17 साल पुराने रिश्ते पूरी तरह से बिखर चुके हैं. लोकसभा चुनाव में बसपा अध्यक्ष मायावती के करीब आकर अखिलेश यादव के तेवर राजा भैया के खिलाफ और भी तल्ख हो गए हैं. सपा अध्यक्ष ने राजा भैया के दुर्ग कहे जाने वाले कुंडा में गुरुवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए उनपर तीखे हमले किए और कहा कि उनके लिए सपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.
बता दें कि प्रतापगढ़ और कौशांबी लोकसभा सीट से राजा भैया ने अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतान्त्रिक से दो उम्मीदवार उतारे हैं. प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल और कौशांबी से शैलेंद्र कुमार हैं. ये दोनों नेता सपा से सांसद रह चुके हैं और फिलहाल राजा भैया की जनसत्ता पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे हैं. राजा भैया की पार्टी का चुनाव निशान 'फुटबाल खेलता हुआ खिलाड़ी' है.
अखिलेश ने राजा भैया का नाम लिए बगैर उनकी पार्टी के चुनाव निशान को टारगेट करते हुए कहा कि फुटबाल खेलना है तो हमारे साथ खेलें, कुंडा की जनता के साथ नहीं. फुटबाल के खेल में उन्हें ऐसा नचाएंगे कि पता नहीं लगेगा कहां चले गए. 2022 में सरकार बनने जा रही है, उनका हिसाब तब सही से होगा. सपा अध्यक्ष ने कहा कि हम भी तो फुटबाल के खिलाड़ी हैं, खेल लें हमारे साथ. अगर दस गोल से न हराया तो हम भी साइकिल वाले नहीं.
अखिलेश ने कहा कि क्षत्रियों के लिए एक पुरानी कहावत है, 'रघुकुल रीत सदा चल आई, प्राण जाएं पर वचन ना जाए. लेकिन उनका (राजा भैया) वचन ही चला गया. कैसे लोग हैं, जिनका वचन ही चला गया. जो आदमी झूठ बोलता है, उससे खराब आदमी कोई नहीं हो सकता.'
सपा प्रमुख ने कहा कि वादा किया था कि वोट देंगे, पता नहीं वो वचन कहां ध्वस्त हो गया, कहां उड़ गया और जब वचन उड़ गया तो हमने भी तय कर लिया कि जाएं, जहां जाना चाहें. ये समाजवादी पार्टी दोबारा उनके (राजा भैया) लिए दरवाजे नहीं खोलेगी. ये नई समाजवादी पार्टी है. ये दोबारा दरवाजा नहीं खोलेगी.
अखिलेश यादव ने पीएम मोदी और सीएम योगी पर जुबानी हमला बोलते हुए राजा भैया को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि केवल चौकीदार ही नहीं, आपको ठोकीदार भी हटाना है. सुना है यहां एक धमकीदार भी हैं. जब चौकीदार का पता नहीं, ठोकीदार का पता नहीं तो धमकीदार कहां रहेंगे.'
दरअसल पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान राजा भैया ने बसपा के उम्मीदवार को वोट नहीं दिया था. जबकि अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि राजा भैया उनके कहने से बसपा को वोट करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया. इसी के बाद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते बिगड़ गए.
हालांकि राजा भैया सपा के नजदीक 2002 के बाद करीब आए हैं. यूपी में बसपा की सरकार बनी और मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए राजा भैया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था. इसके बाद सपा ने इस मुद्दे को लेकर आवाज उठाई. इसके बाद राजा भैया सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह के करीब आए. इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री बने. इसके बाद 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो फिर राजा भैया को मंत्री बनाया गया. निर्दलीय विधायक के तौर पर राजा भैया जीत दर्ज करते रहे हैं. हालांकि सपा ने 2002 के बाद से उनके सामने कभी अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है.