देश में रविवार को छठे चरण की वोटिंग हुई. देश में 7 राज्यों की 59 सीटों के लिए वोटिंग हुई. इन चुनावों में कई बड़े नेताओं ने भी मतदान किया, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इन चुनावों में मतदान नहीं कर पाए. वोट नहीं देने पर दिग्विजय सिंह ने कहा 'हां, मैं राजगढ़ में वोट देने नहीं जा सका और मुझे इसका दुख है. अगली बार मैं अपना नाम भोपाल में दर्ज करवा लूंगा.'
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मैं पहुंचने का प्रयास करूंगा. दिग्विजय खुद 2 बार यहां से सांसद चुने जा चुके हैं तो वहीं उनके भाई लक्ष्मण सिंह 5 बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंच चुके हैं. हालांकि यहां पर दोनों भाइयों को हार का भी सामना करना पड़ा है. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और रोडमल नागर यहां के सांसद हैं.
मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से कांग्रेस के टिकट पर दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर दिग्विजय की बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा से कांटे की टक्कर है.
दिग्विजय सिंह 1993 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद वे 2003 तक मुख्यमंत्री रहे. 10 साल से मध्य प्रदेश में राज कर रहे दिग्विजय की सत्ता को 2003 में बीजेपी की उमा भारती ने उखाड़ फेंका. चुनाव हारने के बाद दिग्विजय सिंह ने तय किया कि वे अगले 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ेंगे. फिर वे पार्टी के महासचिव बन गए. 10 साल तक उन्होंने लोकसभा, विधानसभा और राज्यसभा कहीं के लिए चुनाव नहीं लड़ा. 2014 में दिग्विजय राज्ससभा के सांसद चुने गए. उनका कार्यकाल 2020 में खत्म हो रहा है.