लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तीसरे चरण में 16 राज्यों की 117 सीटों पर बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सामने गृह राज्य गुजरात सहित महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है. तीसरे चरण की आधे से ज्यादा सीटें 2014 में बीजेपी ने जीती थीं.
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनावी मैदान में हैं, जिनकी किस्मत का फैसला इस चरण में होना है. ऐसे में कांग्रेस बनाम बीजेपी की सियासी मुकाबले में दोनों पार्टियों की साख दांव पर लगी हुई है. हालांकि कई राज्यों में क्षत्रप भी अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने और किंगमेकर बनने की कोशिशों में जुटे हैं.
बीजेपी की साख दांव पर
तीसरे चरण की जिन 117 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है, इनमें से 2014 में एनडीए को 67 सीटें मिली थी. बीजेपी अकेले 62 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इनमें बीजेपी की सभी 26 की 26 सीटें जीती थी. यूपी की 10 में से 7, कर्नाटक की 14 में से 11, महाराष्ट्र की 14 में से 6, गोवा की 2, छत्तीसगढ़ की 7 में 6, बिहार की 5 में से 1, दादर नागर हवेली की 1 और दमन दीव की एक सीट बीजेपी ने जीती थी. इसके अलावा बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने तीन सीटें जीती थी और एलजेपी एक सीट जीतने में कामयाब रही थी.
बीजेपी की उम्मीद
2019 के लोकसभा चुनाव में सियासी समीकरण काफी बदले हुए हैं और 2014 से उल्टा नजर आ रहा है. यूपी में सपा-बसपा-आरएलडी, महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने बीजेपी की चुनौती बढ़ा दी है. इसके अलावा गुजरात और छत्तीसगढ़ में जिस तरह से कांग्रेस का ग्राफ बढ़ा है, उससे भी बीजेपी को बेचैन कर दिया है. ऐसे में इन राज्यों की भरपाई के लिए बीजेपी की नजर पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों पर लगी हुई है.
बंगाल में जिन 5 लोकसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वहां बीजेपी को अपने लिए अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के साथ मिलकर चुनावी रण में हैं, ऐसे में पिछले नतीजों को दोहराने की उम्मीदें नजर आ रही हैं. इस बार बिहार में इन पांच सीटों में से महज एक सीट पर बीजेपी चुनावी मैदान में है. बाकी चार सीटों पर सहयोगी मैदान में हैं.
कांग्रेस की साख दांव पर
तीसरे चरण की 117 लोकसभा सीटों में से यूपीए के पास 26 सीटें हैं. इनमें से कांग्रेस के पास 16 सीटें मिली थीं. केरल की 20 में से कांग्रेस 8 सीट जीती थी. इसके अलावा कर्नाटक की 14 में से 3, बंगाल की 5 में से 3, बिहार की पांच में से 1 और छत्तीसगढ़ की 7 में से 1 जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा कांग्रेस के सहयोगी एनसीपी तीन, आरजेडी 2, मुस्लिम लीग 2, आरएसपी 1 और केरल कांग्रेस 1 सीट जीत पर जीत दर्ज की थी.
कांग्रेस को उम्मीदें
तीसरे चरण की जिन लोकसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं वहां कांग्रेस पिछले चुनाव से बेहतर नतीजों की उम्मीदें लगाए हुए है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड से चुनावी समर में उतरकर बड़ी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. गुजरात और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का जिस तरह से ग्राफ बढ़ा है, उससे पार्टी जीत की उम्मीद लगाए हुए है. इसके अलावा कांग्रेस महाराष्ट्र में एनसीपी और कर्नाटक में जेडीए के सहारे बड़ी जीत का आस लगाए हुए है.
क्षत्रपों की अग्नीपरीक्षा
तीसरे चरण में जिन सीटों पर वोटिंग हो रही हैं उसमें सबसे ज्यादा क्षेत्रीय दलों की साख भी दांव पर है. 2014 में लेफ्ट 9 सीटें मिली थी, जिन्हें बचाने की बड़ी चुनौती है. इसके अलावा सपा को तीन सीटें मिली थी. यूपी की10 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, गठबंधन के तहत सपा 9 सीटों पर मैदान में है. ऐसे में पार्टी जीत की बड़ी उम्मीद लगाए है. इसके अलावा बीजेडी 6 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार उसे अपनी जीती हुई सीटों पर बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के अगर बहुमत नहीं मिलता है तो ये दल किंगमेकर की भूमिका में हैं.