घोटाला शब्द सुनते ही हर किसी के दिमाग में राजनीति पार्टियां सामने आती है। आए भी क्यों नहीं..। जब हर राजनीति पार्टियां घोटालों में फंसी नजर आती हैं। देश की हालत इतनी खतरनाक हो चुकी है। हर कोई जल्द और बिना मेहनत से पैसा कमाना चाहता है। अगर कोई काम ही नहीं करेंगा, तो देश का रूपया कैसे मजबूत होगा। अगर आप देश के किसी भी राजनीति पार्टी की बात करेंगे। तो आपको साफ दिखेगा। यहां हर राजनीति पार्टी भ्रष्टाचार और घोटालों में मिली है। यह सिर्फ कांग्रेस या फिर किसी एक दल की बात नहीं हैं। बल्कि हाल सभी का एक जैसा ही है। हर कोई राजनीति में आकर आसानी से पैसा कमाना चाहता है। अगर राजनीति कमाने का एक जरिया बन जाए। तो यह देश के लिए एक गंभीर संकेत है। जिसे हमें समझने की जरूरत हैं। अगर हम राजनीति के छोटे-छोटे चीजों को समझें। तो हम देश की राजनीति में एक बदलाव ला सकते है। जो देश हित में होगा। आपको पता होगा। हमारे देश का रुपया दिन पे दिन कमजोर होता जा रहा है। जो हमारे देश के लिए एक चिंता का विषय तो है ही, पर एक गंभीर समस्या भी है। जिसका अभी तक हमारा देश कोई हल नहीं निकाल पाया है। देश में लगातार गरीबी-भूखमरी-बेरोजगारी बढ़ रही है। जिसके बावजूद भी हमारी सरकारें जनता को झूठे सपनों की दुनिया में ले जाती दिख रही है।
हमारी सरकारों ने देश से गरीबी खत्म करने के लिए कई योजनाओं की शुरूआत की। जो योजनाएं जनता का पेट कम नेताओं का जेब ज्यादा भरते हैं। ऐसे में सवाल उठते हैं। क्या देश में गरीबी-भूखमरी-बेरोजगारी यूहीं ही हावी होती रहेगी। या फिर हमारी सरकारें कुछ करेगी भी..।
मुझे आज तक समझ नहीं आया, जब भी हमारे देश में नई सरकारें आती है। वह सबसे पहले पुरानी सरकारों की हकीकत जनता के सामने लाने में लगी रहती है। जिससे देश की जनता को समझ नहीं आ पाता है। नई सरकार उनके लिए कुछ कर भी रही है या फिर पुरानी सरकारों की घोटालों में ही उलझी हुई है। ना नई सरकार कोई कार्यवाही करती है। ना किसी को सजा होती है। बस जनता का उल्लू बनता है। अगर आप इन तथ्यों पर ध्यान देंगे। तो आपको समझ आ जाएगा। आखिर इन राजनीति पार्टियों की असली हकीकत क्या हैं।
बस एक ही मुद्दा- घोटाला- कब घोटाला- ये घोटाला- निकलेंगा घोटाला। आज तक कई घोटाले सामने आए पर कार्रवाई ना मात्र हुई है। चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो, या फिर बीजेपी की सरकार रही हो। हर सरकार घोटाले का राग आलापती रहती है। सिर्फ इन घोटालों राजनीति हवा दी जाती है। आखिर कब खत्म होगी घोटालों की राजनीति...??