19 जून, 1970 को राहुल गांधी की पैदाइश के अगले ही साल उनकी दादी व तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया. अब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जब कांग्रेस की कमान राहुल गांधी संभाल रहे हैं तो उन्होंने 48 साल बाद गरीबी पर आखिरी प्रहार नारा देते हुए देश की 20 फीसदी गरीबी जनता को आर्थिक मदद देने का वादा किया है. दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी के रूप में अपने घर में दो प्रधानमंत्री देखने वाले राहुल गांधी अब खुद देश के सर्वोच्च कुर्सी के लिए सबसे बड़ी सियासी जंग लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला मौजूदा राजनीति के सबसे मजबूत नेता माने जाने वाले नरेंद्र मोदी से है.
हालांकि, संघर्ष और चुनौतियों को राहुल गांधी ने बचपन से ही देखा है और इसका जिक्र वो सार्वजनिक मंचों से भी करते रहे हैं. 1984 में राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी का उनके ही सुरक्षाकर्मी ने मर्डर कर दिया. इसके बाद 1991 में उनके पिता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी सभा के दौरान आत्मघाती बम धमाके में हत्या कर दी गई. इस तरह राहुल गांधी ने कम उम्र से घर में मुश्किल वक्त देखा.
राहुल गांधी ने अपना बचपन दिल्ली और उत्तराखंड के देहरादून में बिताया. राहुल गांधी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबिया स्कूल से की और इसके बाद वो 1981 से 1983 तक देहरादून के मशहूर दून स्कूल में पढ़े. इसके अगले ही साल 1984 में उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई.
राहुल ने मैनेजमेंट से की प्रोफेशन की शुरुआत
राहुल गांधी ने अपने प्रोफेशन की शुरुआत लंदन स्थित एक मैनेजमेंट कंस्लटेंसी फर्म मॉनिटर ग्रुप के साथ की. राजनीति में आने से पहले वो दूसरे फील्ड में अपना करीयर बनाने को लेकर काफी संजीदा थे. राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी भी अपने परिवार को राजनीति से अलग रखना चाहती थीं. साल 2002 में राहुल गांधी भारत लौट आए और मुंबई में उन्होंने अपनी तकनीकी सलाहकार संस्था स्थापित की, जहां उन्होंने निदेशक के तौर पर अपनी टीम का नेतृत्व किया.