अगले वर्ष, यानी 2019 में लोकसभा चुनाव होनेवाले हैं। सारी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से खिचड़ी पकाने में लगी हुई हैं। आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अपना-अपना हित साधने में लगी पार्टियों के बीच आपसी कलह भी खुल कर सामने आ रही है। बिहार में इन दिनों सीट के बंटवारे को लेकर एनडीए में भी फूट पड़ गई है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों भाजपा से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि 2014 के चुनावों में वह एनडीए का अहम हिस्सा था। तभी तो केंद्र में मंत्री भी बने। लेकिन, 2018 आते-आते स्थिति में जमीन आसमान का अंतर पैदा गया है। अब उपेंद्र कुशवाहा को उनके मन मुताबिक सीटें नहीं दी जा रही हैं। भाजपा ने जदयू अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर सीटों का आपस में करीब-करीब आधा-आधा बंटवारा कर लिया है, और बाकी बची सीटों में राम विलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को चलता करना चाह रही है।
लेकिन इसमें भी 6 सीटों के साथ राम विलास पासवान थोड़ी अच्छी स्थिति में हैं, जबकि उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ एक सीट मिलने से नाराज हैं। आगामी लोकसभा चुनावों में भी रालोसपा भाजपा के साथ रहेगी या नहीं, इसका फैसला उपेंद्र कुशवाहा ने नहीं किया है, लेकिन बिहार में भाजपा की सहयोगी रालोसपा संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एनडीए से अपने रिश्ते तोड़ सकती है। रालोसपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के बिहार में जेडीयू व भाजपा नेताओं के लगातार बढ़ रही तल्खी के चलते सुलह-समझौते के आसार लगभग खत्म हो गए हैं।
हालांकि, भाजपा अपनी तरफ से रालोसपा के साथ संबंध तोड़ना नहीं चाहती, उसकी कोशिश है कि उपेंद्र कुशवाहा नए सीट के साथ तालमेल बना कर उसके साथ रहें। लेकिन जैसी खबरें चल रही हैं, उनके मुताबिक कुशवाहा के हिस्से में लोकसभा की सिर्फ एक ही सीट आ रही है, जो कि कहीं से भी उनके लिए सम्माननीय नहीं है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा का नाराज होना जाहिर सी बात है। इसके अलावा रालोसपा के साथ उसके निलंबित सांसद अरुण कुमार भी फिर से साथ आ गए हैं। इससे उसका दावा दो का हो जाता है।