देश के जाने माने असमिया गायक भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में इस साल भारत सरकार द्वारा सम्मानित देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न लेने से इनकार कर दिया है। नागरिकता विधेयक के कारण राज्य में पैदा हुई मौजूदा परिस्थितियों में यह अवार्ड लेना सही नहीं है। आपको बता दें, भारत सरकार ने इसी साल भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया। भूपेन हजारिका के इससे पहले भी पद्म विभूषण, पद्म श्री, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वैसे हजारिका असम राज्य से ताल्लुक रखते है।
जहां केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल-2019 लोकसभा में पास कर चुकी है। तो वहीं सरकार इसे राज्यसभा में भी पेश करने जा रही है। जबकि केंद्र के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। जिससे केंद्र को यह बिल पास करने में मशक्कत करनी पड़ेगी। इस बिल को लेकर पूर्वाचल में काफी विरोध हो रहा है। इस बिल के पास होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को 12 साल के बजाय महज छह साल भारत में गुजारने और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। जिसका विरोध लगातार हो रहा है। इस विरोध के पक्ष में हजारिका के परिवार वाले भी खड़े नजर आ रहे है। हजारकि के परिवार वालों का कहना है- भूपेन दा किसी एक व्यक्ति या परिवार के नहीं थे। वह पूरे देश के भूपेन दा है। इसलिए हम नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में खड़े है। यह सिर्फ एक परिवार का फैसला नहीं है। बल्कि पूरे देश का फैसला है। पूर्वोत्तर भारत में इस बिल का लगातार विरोध हो रहा है। हमारी सरकार है कि जो इस पास करके ही मानेगी।