पंचकूला में NIA की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने समझौता ब्लास्ट मामले के फैसले की कॉपी सार्वजनिक कर दी. जिसके मुताबिक नभ कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में बरी कर दिया गया था.
विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा “मैं विश्वसनीय और स्वीकार्य सबूतों के अभाव में अधूरे रहने वाले इस हिंसा के रूप में किये गए एक नृशंस कृत्य के फैसले को गहरे दर्द और पीड़ा के साथ समाप्त कर रहा हूं. अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में अभाव रहा. जिसके चलते आतंकवाद का एक कृत्य अनसुलझा रह गया.”
आज तक के पास फैसले की एक्सक्लुसिव कॉपी है. जिसके मुताबिक 18 फरवरी, 2007 को हरियाणा के पानीपत में भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन जब भारतीय सीमा के पास आखिरी स्टेशन यानी अमृतसर के अटारी स्टेशन के रास्ते में थी, तभी उसमें जोरदार ब्लास्ट हुआ था. जिसमें 68 लोग मारे गए थे.
न्यायाधीश जगदीप सिंह ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, क्योंकि दुनिया का कोई भी धर्म हिंसा का प्रचार नहीं करता है. कानून और अदालत लोकप्रिय या प्रमुख सार्वजनिक धारणा या एक दिन के राजनीतिक प्रवचन पर आगे बढ़ने के लिए नहीं है और अंततः इसे रिकॉर्ड पर सबूतों के आधार पर और प्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों और तय कानून लागू होने के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना है.