तमाम तरह के सर्वे और देश के बदलते मिजाज के साथ ही विपक्षी एकता की संभावना को देखते हुए मोदी सरकार बड़े स्तर पर उमंग ऐप के जरिये जनता को साधने जा रही है। मोदी सरकार की चाहत है कि इस एक ऐप के जरिये केंद्र और राज्य की सभी योजनाएं जनता तक पहुंचाई जाए, ताकि जनता उसका लाभ उठा सके। यह बात और है कि गैर भाजपा राज्य नहीं चाहता कि इस ऐप के जरिये भाजपा कोई लाभ उठा सके। भाजपा शासित कुछ राज्य भी इस तरह के ऐप के खिलाफ है। बता दें कि उमंग ऐप पिछले साल ही शुरू किए गए थे, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ सका था। अब इस ऐप को सफल करने की जिम्मेदारी खुद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संभाली है। हालांकि सरकार का यह प्रयास कितना सफल होगा, इसको लेकर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारी स्वयं संशय में नजर आ रहे हैं।
लोगों को सरकार तक एक क्लिक पर पंहुचा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे को ध्यान में रखते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उमंग नामक ऐप शुरू किया था। इसका उद्देश्य था कि केंद्र और राज्य सरकार की करीब 12 सौ योजनाओं को इस पर लाया जाए, जिससे लोगों को अलग योजनाओं के लिए अलग ऐप की जरूरत न हो। एक ही ऐप में सभी योजनाओं की चाबी हो और लोगों को बस एक क्लिक पर केंद्र और राज्य की सभी योजनाओं का लाभ हासिल हो पाए। लेकिन, सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी इस ऐप ने वह गति हासिल नहीं की, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस ऐप पर हम केंद्र और राज्य सरकार की करीब 12 सौ से अधिक योजनाओं को लाना चाहते हैं।
बिजली-पानी के बिल भरने से लेकर यूनिवर्सिटी की फीस तथा हाउस टैक्स से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के शुल्क को जमा करने के लिए एक ही ऐप काम में आए, इसे ध्यान में रखते हुए उमंग में लगातार सेवाएं बढ़ाई गई हैं। इस समय इस ऐप पर करीब 307 योजनाएं हैं। इस पर और सेवाएं भी लाने के लिए सभी संबंधित विभाग और राज्य सरकारों से बात की जा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ही एक अधिकारी ने कहा कि यह लक्ष्य थोड़ा कठिन दिखता है। राज्य सरकारें नहीं चाहती हैं कि इस ऐप पर सभी सेवाएं आएं। इसकी वजह राजनीतिक ही है।
राज्य सरकारें जानती हैं कि अगर एक ही ऐप पर सभी सेवाएं लाने में उमंग सफल होता है, तो इसका राजनीतिक लाभ मोदी सरकार को होगा। ऐसे में वह किसी-न-किसी बहाने से अपनी सेवाओं को इस एंप पर आने से रोक रहे हैं। राज्य सरकारों का मानना है कि मोदी सरकार अगले आम चुनाव के लिए उमंग ऐप को अपना बड़ा हथियार बना सकती है। ऐसे में उनका प्रयास है कि तकनीकी कारणों से वे अपनी सेवाओं को इस ऐप से दूर रखें।