एक दशक के प्रयासों के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया है. खास बात है कि भारत ने मसूद अजहर को जिस पुलवामा आतंकी हमले के बाद वैश्विक आतंकी घोषित कराने की पुरजोर कोशिश की, उसका यूएन की वेबसाइट पर जिक्र नहीं है. 14 फरवरी, 2019 को हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
पुलवामा आतंकी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने जो प्रस्ताव दिया था, उसमें पुलवामा आतंकी हमले का जिक्र था. इस पर चीन को पुलवामा से आपत्ति थी. भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच कई दौर की वार्ता हुई. बाद में पुलवामा का संदर्भ हटाए जाने के बाद चीन ने अपना वीटो हटा लिया है. मसूद अजहर पर चीन चार बार वीटो लगा चुका है.
भारतीय सूत्रों ने बताया कि भारत मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए 10 साल से प्रयास कर रहा था. इसके लिए कई सबूत दिए गए. हाल में ही पुलवामा आतंकी हमला हुआ था. वैश्विक आतंकी घोषित करने की कार्यवाही सिर्फ किसी हमले के बारे में जानकारी देने से नहीं बल्कि सभी सबूतों को देने के बाद हुई है. सूत्रों की कहना है कि हम मसूद अजहर का बॉयोडाटा नहीं तैयार कर रहे थे, जिसमें उसके द्वारा किए गए हर आतंकी हमले का जिक्र हो. हमारा मकसद उसे वैश्विक आतंकी घोषित कराना था और हम इसमें सफल हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि यह एक कूटनीतिक और सभी को लेकर किया गया प्रयास था, जिसमें हम सफल हुए. हालांकि, अकबरूद्दीन ने यह बताने से फिलहाल इंकार कर दिया कि इस अहम कूटनीतिक जीत के पीछे की कहानी क्या है. उन्होंने कहा कि हम 2009 से ही प्रयास कर रहे थे. अब हमें सफलता मिल गई है.
इस बीच पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कहा कि मौजूदा प्रस्ताव पर इसे पुलवामा से जोड़े जाने की कोशिशों को हटाने सहित सभी राजनीतिक ऐतराजों के बाद सहमति बनी. पाकिस्तान अजहर पर लगे प्रतिबंधों को फौरन लागू करेगा. उन्होंने इसे भारत की कूटनीतिक जीत मानने से इंकार कर दिया है.
खैर जानकारों का मानना है कि मसूद अजहर को लेकर चीन के बदले रुख का श्रेय अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को भी जाता है. भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है ही. अब पाकिस्तान को मसूद अजहर पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.