हरियाणा के मुनक नहर से दिल्ली को पानी न मिलने के मामले में दिल्ली हाइकोर्ट ने रिटायर्ड जज इंदर मीत कौर की अध्यक्षता में नई जांच समिति बनाई है और जांच की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने इस समिति को आदेश दिया है कि 20 मई तक रिपोर्ट दाखिल कर दिए जाएं.
जांच रिपोर्ट में कोर्ट को यह बताना होगा कि दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिलने में कहां-कहां खामियां हैं. कोर्ट में यह भी बताना होगा कि क्या हरियाणा जानबूझकर दिल्ली को पानी नहीं दे रहा है. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारा इंटरेस्ट सिर्फ आम लोगों को पानी दिलाने का है.
कोर्ट ने हरियाणा को 2014 में दिए गए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने का भी सख्त आदेश दिया है कि जिसमें दिल्ली को पर्याप्त पानी देने के आदेश दिए गए थे. कोर्ट इस बात पर नाराज था कि आखिर क्यों कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है.
दिल्ली हाइकोर्ट ने नोटिस जारी कर हरियाणा और दिल्ली सरकार के इस मामले से जुड़े विभागों को अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर फिर पानी की पूरी आपूर्ति न देने का आरोप लगाया है.
दिल्ली जल बोर्ड का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है और पानी की आपूर्ति पड़ोसी राज्य से होगी. दिल्ली कोई बंधक देश नहीं है जिसको जरूरत का पानी भी न दिया जाए. हरियाणा का कहना है कि 719 क्यूसिक की बजाय, वो 1049 क्यूसिक पानी हर रोज दे रहे हैं.
दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अगर हालात यही बने रहे तो कुछ दिनों में दिल्ली को पानी की बड़ी किल्लत का सामना करना पड़ेगा. दिल्ली सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार हमें कोर्ट केस को वापस लेने के लिए दवाब डाल रहा है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और आदेशों का पालन हरियाणा नहीं कर रहा है.
दिल्ली सरकार ने आज मांग की कि फिलहाल पानी की किल्लत को लेकर नई मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाए, जिसके बाद आज कोर्ट ने ये आदेश दिए है.
यह कोई पहली बार नही है कि हरियाणा से पानी कम मिलने को लेकर कोर्ट ने हरियाणा को फटकार लगाई हो. इससे पहले भी इस समस्या के निदान के लिए कई कमेटियों का भी गठन किया जा चुका है. इन आदेशों के बाद भी दिल्ली को पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है. गर्मियों में ये दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं.