सब बदल गया है। फिर चाहे बीमारियां ही क्यों ना हों। यह बात मजाक की नहीं है। सच है सौ फीसदी। आपने परिवार में या आस-पास में सुना था कि चचेरी, ममेरी बहन, मामी, मौसी, दादी, बुआ, चाची…को कभी हार्ट अटैक आया हो। शायद नहीं। उनकी मौत का कारण अचानक दम घुटना हो सकता हैै, लेकिन बहुतेरों ने स्वीकार कर लिया है हार्ट अटैक सिर्फ पुरुषों को पड़ता है। यह सरासर गलत है। एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल 425000 महिलाओं को हार्ट स्ट्रोक पड़ता है, जो पुरुषों की तुलना में 55000 अधिक है। यही नहीं वैश्विक स्तर पर 4 महिलाओं में से 1 दिल थमने की विफलता से मर जाती है। कारण चाहे महिलाओं को समय पर इलाज नहीं मिलना हो, जानकारी का अभाव हो या दकियानूसी सोच की पुरुषों को ही जकड़ता है हार्ट अटैक। ऐसे में महिलाओं को सजग होना होगा। कारण कभी भी उन्हें दिल की बीमारियां गिरफ्त में ले सकती हैं।
हृदय
क्या है कार्डियक अटैक
अचानक जब हृदय की गति थम जाती है और शरीर के मुख्य अंगों में रक्त प्रवाह में अवरोधक आता है उसे सडन कार्डियक अटैक कहते हैं। यदि समय पर त्वरित डाॅक्टरी परामर्श नहीं मिले तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। सडन कार्डियक अटैक एकदम पड़ता है और मदद के लिए समय का टोटा होता है।
कार्डियक अटैक और हार्ट अटैक
अधिकांश लोग सोचते हैं कि कार्डियक अटैक और हार्ट अटैक एक से हैं। उनमें कोई अंतर नहीं। लेकिन यह धारणा सरासर गलत है। कार्डियक अटैक और हार्ट अटैक में अंतर है रक्त प्रवाह का। हार्ट अटैक में रक्त का प्रवाह हृदय के एक हिस्से में संक्षिप्त हो जाता है और उसे नुकसान पहुंचाता है। वहीं दूसरी ओर कार्डियक अटैक में हृदय पूर्ण रूप से काम नहीं करता। या यूं कहें कि हृदय के काम करने में ठहराव आ जाता है, जो व्यक्ति को बेहोश नहीं करता, बल्क़ि नाड़ियों में शून्यता लाता है। साथ ही साइलेंट या सडन कार्डियक अटैक, हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातव व जानलेवा है।
महिलाओं में आम होती हृदय संबधित बीमारियां
जिन्हें हृदय संबधित बीमारियां होती हैं उन्हें अचानक (सडन) कार्डियक अटैक पड़ने की संभावना अधिक होती है। यही नहीं ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो दिखते स्वस्थ हैं और परिवार में किसी को हृदय संबधित बीमारी हो या कभी रही हो। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक कार्डियक अटैक की चपेट में आती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल 425000 महिलाओं को हार्ट स्ट्रोक पड़ता है, जो पुरुषों की तुलना में 55000 अधिक है। यही नहीं वैश्विक स्तर पर 4 महिलाओं में से 1 दिल थमने की विफलता से मर जाती हैं। हाल ही में एक्ट्रेस श्रीदेवी की मौत का कारण भी कार्डियक अटैक बताया गया था। उनकी मौत के बाद से ही महिलाओं में दिल से संबंधित चर्चाओं में तेजी आ गई।
हृदय
क्यों महिलाओं में गुप्त रहती हैं हृदय संबधित बीमारियां ?
कुछ प्रश्न आपके दिमाग में कौंध रहे होंगे कि महिलाओं में क्यों गुप्त रहती हैं हृदय संबधित बीमारियां और महिलाओं में दिल की बीमारी पुरुषों से कैसे भिन्न है। इसका प्रमुख कारण यह है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लक्षण प्रत्यक्ष होते हैं। यानी पुरुषों को जब दिल का दौरा पड़ता है, तब उन्हें तीव्र सीने में दर्द और ठंडे पसीने छूटते हैं। वहीं दूसरी ओर महिलाओं में दिल का दौरा अधिक बार और छोटा हो सकता है। बहुतेरी महिलाओं को पता नहीं होता कि अतीत में उन्हें 1-2 दिल का दौरा पड़ चुका है। इसका कारण है महिलाओं के शरीर का भौतिक विज्ञान, जिस वजह से उनमें लक्षण मध्यम होते हैं। कुछ लक्षण हैं जैसे- जबड़े दर्द से थकान और पसीना आना, सीने में जलन या गर्दन व पीठ में दर्द। यदि गलत निरीक्षण किया गया हो, तो समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। यदि महिलाएं छाती में दर्द, श्वास की कमी जैसे ल़क्षणों के साथ डाॅक्टर को दिखाएं और डाॅक्टर उन लक्षणों को तनाव या थकान कहकर नजरअंदाज कर दे। बता दें कि जिन महिलाओं को महावारी होती है उन्हें कार्डियक अटैक का खतरा अधिक होता है। कारण तीव्र ग्रति में पल्स, अफ्रीकी-अमेरिकी जाति, उच्च कमर से हिप अनुपात और बढ़ती सफेद रक्त कोशिकाएं। यही नहीं अचानक (सडन) कार्डियक अटैक पड़ने वाली 50 फीसदी महिलाओं में हृदय रोगों का कोई बही-खाता नहीं होता।
किस उम्र में हृदय रोगों की संभावना
महिलाओं में 40-50 की उम्र में हृदय रोगों की संभावना अधिक होती है। कारण मीनोपाॅस का दौर, हार्मोन स्वास्थ की रक्षा करने में विफल, घर-आॅफिस में काम का दबाव और अकेलापन। हृदय रोगों की संभावना 60 पार कर चुकीं महिलाओं में अधिक होती है। कारण इस उम्र में शरीर की जैविक गिरावट निरंतर होती रहती है।
स्वयं महिलाएं हैं जिम्मेदार
भारत में पुरुषों की तरह महिलाओं के कंधे बोझ व जिम्मेदारियों से लदे होते हैं, जैसे बच्चों और मां-पिता की देखभाल। अधिकांश महिलाएं दूसरों की जिंदगी व्यवस्थित करने के फेर में अपनी सेहत को नजरअंदाज करती रहती हैं। इसका प्रमुख कारण है समाज, जिसने महिलाओं से अधिक उम्मीदें बांधी है कि वे घर-बाहर की जिम्मेदारी निभाएं। यही नहीं समाज ने महिलाओं की सोच में यह कूट-कूट कर भरा कि वे स्वयं की देखभाल नहीं करें। लेकिन आज स्थितियां बदल रही हैं। इसमें काफी परिवर्तन आया है। कारण युवा पीढ़ी की सोच बदल रही है। वे इसे अपने स्तर पर प्रचारित, प्रसारित व अमल में लाने में डटे हैं। और परिणामस्वरूप महिलाएं अपने प्रति नजरअंदाज वाला रवैया नहीं अपनाकर देखभाल कर रही हैं।
साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण
उच्च रक्तचाप
धूम्रपान
परिवार में हृदय संबधित बीमारियों का इतिहास
मोटापा
बढ़ती उम्र
अपनी मदद करें
जब सडन हार्ट अटैक पड़े, तब अपनी मदद स्वयं करें। इसके लिए सेल्फ ट्रेनिंग करें, सोशिली जुड़े रहें और फोन में स्पीड डायल की सुविधा रखें। ताकि तुरंत आपको मदद मिल सके।
हेल्दी लाइफस्टाल अपनाएं
दिल के दौरे का प्रमुख कारण है बिगड़ती लाइफस्टाइल। इसमें सुधार लाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। जिसमें नपा-तुला व पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम, घर-बाहर की जिंदगी में सही संतुलन, एक अच्छी बीमा योजना शामिल हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आज दुनिया की आधी आबादी के लिए जरूरी सेवाएं भी सुलभ नहीं हैं क्योंकि लोग कई बीमारियों का इलाज महंगा होने की वजह से नहीं करा सकते हैं।