लेखक एवं निर्देशक विशाल भारद्वाज ने शनिवार को कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं की चिंताओं पर ध्यान नहीं देता। भारद्वाज ने कहा कि समाज में जो कुछ भी गलत होता है, उसका दोष मढ़ने के लिए फिल्में ‘आसान लक्ष्य’ हैं।
डिजिटल माध्यम में सेंसरशिप की संभावना के बारे में पूछे जाने पर भारद्वाज ने कहा, ‘क्या उन्होंने दृश्यों पर ‘नो स्मोकिंग’ टिकर लगाने से पहले हमारा पक्ष सुना था? क्या वे अब भी हमारी बात सुनते हैं? वे (सेंसर बोर्ड) हमारी बात नहीं सुनते। वे जो चाहते हैं वह करते हैं। पूरे विश्व में हम एकमात्र देश हैं, जहां किसी दृश्य पर ‘नो स्मोकिंग’ टिकर चलते हैं। इससे अधिक हास्यास्पद क्या हो सकता है?’
उन्होंने कहा कि वेब माध्यम किसी भी निर्देशक को ऐसी चीजों में पड़ने की स्वतंत्रता देता है, जो करना फिल्मों में मुश्किल हो रहा हो। उन्होंने कहा, ‘आप सीरीज में कई चीजें कर सकते हैं और वहां कोई सेंसर नहीं होता। पशु कल्याण बोर्ड, यह गले की फांस है। जिस तरह की चीजें वे आप पर थोपते हैं। फिल्मों को आसानी से निशाना बनाया जाता है। यदि किसी को कुछ भी हो, फिल्म (को निशाना बनाइए)। जैसे समाज में जो कुछ भी बुरा है, उसके लिए फिल्में जिम्मेदार हैं।’
भारद्वाज एनडीएफसी के ‘फिल्म बाजार नॉलेज सीरीज सेशन’ ‘स्टोरीटेलर्स फर्स्ट.. डायरेक्टर्स एंड प्रोड्यूसर्स हू चेंज्ड द गेम’ में बोल रहे थे।