अक्षय कुमार पिछले कुछ दिनों से लगातार अलग अलग वजहों से चर्चाएं बटोर रहे हैं. पहले पीएम मोदी के साथ नॉन पॉलिटिकल इंटरव्यू के बाद उन्हें लेकर बहस शुरू हुई. इसके बाद लोकसभा चुनाव के चौथे फेज में वोटिंग के दौरान अक्षय की गैरहाजिरी पर सवाल उठे. अक्षय का कनाडा कनेक्शन और नागरिकता को लेकर विवाद खड़ा हो गया. जिसके बाद अक्षय कुमार ने खुद ट्वीट कर साफ कर दिया कि उनके पास कनाडा का पासपोर्ट है.
उनके इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया काफी एक्टिव हो गया और एक्टर की नागरिकता के बहाने तमाम चर्चाएं होने लगी. मसलन क्या कोई विदेशी नागरिक भी भारत का नेशनल अवॉर्ड जीत सकता है? और अगर कोई भारत का नागरिक ही नहीं है तो उसे भारत का राष्ट्रीय पुरस्कार कैसे मिल सकता है?
बता दें कि अक्षय कुमार ने साल 2016 में फिल्म रुस्तम के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीता था. इस फिल्म में उन्होंने इंडियन नेवी ऑफिसर का रोल निभाया था. ये मसला तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब उसी साल मनोज बाजपेयी को फिल्म अलीगढ़ के लिए इस अवॉर्ड का सबसे तगड़ा दावेदार माना गया था. इसके अलावा दक्षिण भारत की फिल्म कमत्तीपड़म में विनायकन को भी इस अवॉर्ड का बड़ा दावेदार माना जा रहा था. लेकिन दोनों अक्षय कुमार से पीछे रह गए.
एक सीनियर फिल्म क्रिटिक ने तो ट्वीट कर यह तक कह दिया कि नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में फर्जी राष्ट्रवाद के चलते टैलेंट की बलि चढ़ा दी गई है. डायरेक्टर प्रियदर्शन उसी ज्यूरी के मेंबर थे जिस ज्यूरी ने अक्षय कुमार का नाम अवॉर्ड के लिए फाइनल किया था. अफवाहें ये भी थीं कि प्रियदर्शन के साथ करीबी रिश्तों के चलते अक्षय अवॉर्ड हासिल करने में कामयाबी मिली.
विदेशी मूल के लोगों को भी अवॉर्ड दिया जा सकता है. ये पूरी तरह से नियमों के अनुसार है. राहुल के अनुसार, वो भी कई बार नेशनल अवॉर्ड ज्यूरी का हिस्सा रहे हैं. राहुल के ट्वीट के बाद ये बात तो साफ हो जाती है अक्षय कुमार की नागरिकता का विवाद जो भी हो, नेशनल अवॉर्ड उनसे वापस नहीं लिया जाएगा. वैसे अक्षय की नागरिकता का विवाद अभी सोशल मीडिया में थमता नजर नहीं आ रहा है.