जिस संपत्ति के लिए हुआ था पिता का कत्ल, उसी के लिए मोंटी चड्ढा हुआ गिरफ्तार

जिस संपत्ति के लिए हुआ था पिता का कत्ल, उसी के लिए मोंटी चड्ढा हुआ गिरफ्तार Date: 14/06/2019
वेव समूह के सीईओ मनप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ मोंटी चड्ढा ने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें पुलिस कभी इस तरह से गिरफ्तार कर लेगी. मगर ऐसा ही हुआ, जब वो भेष बदलकर विदेश भागने की कोशिश कर रहा था. लेकिन वह एयरपोर्ट पर पकड़ा गया. यूपी के जाने माने शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा के पुत्र मोंटी चड्ढा को 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर पहले ही जारी कर दिया गया था. साल 2012 में पिता पोंटी चड्ढा की मौत के बाद मोंटी चड्ढा ने ही कारोबार की कमान संभाली थी. पोंटी ने जिंदा रहते हुए ही उसे कारोबार का सबक देना शुरू कर दिया था.
 
मोंटी चड्ढा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया था. जब उसने पिता की हत्या के बाद कारोबार संभाला. वो 17 नवंबर, 2012 का दिन था. जब चड्ढा परिवार को बड़ा झटका लगा था. उस दिन दिल्ली में स्थित फार्म हाउस में पोंटी और उनके भाई हरदीप के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. जिसमें उनकी मौत हो गई थी. उनकी मौत का जिम्मेदार कोई बाहरी शख्स नहीं था. वो अपने ही छोटे भाई हरदीप के साथ गोलीबारी में मारे गए थे.
 
59 वर्षीय शराब कारोबारी गुरदीप सिंह चड्ढा उर्फ पोंटी चड्ढा को शायद पहले से ही इस बात अहसास हो गया था कि उनके साथ कुछ होने वाला था. बताया जाता है कि अगस्त 2011 में उनकी कुंडली देखकर दिल्ली के एक ज्योतिषी ने एक 'काले साये' के बारे में चेताया था. उसने पोंटी को शराब का कारोबार छोड़ने की सलाह भी दी थी.
 
दरअसल, ये शराब ही थी जिसने मुरादाबाद के एक मामूली-से रेहड़ी वाले को इतनी ऊंचाई पर पहुंचा दिया कि उत्तर प्रदेश के 80 फीसदी शराब कारोबार पर उसका कब्जा हो गया था. लेकिन 17 नवंबर को दोपहर के वक्त दिल्ली के नंबर 42 सेंट्रल ड्राइव फार्म हाउस में यही शराब पोंटी और उनके भाई हरदीप की मौत का सबब बन गई थी.
 
दरअसल, पोंटी और उनके भाईयों के बीच बंटवारा होना था. पोंटी की मां प्रकाश कौर और परिवार के बड़े बुजुर्ग चाहते थे कि परिवार के सारे लोग एक दिन एक साथ मिलकर बैठे और दोनों भाइयों के बीच जायदाद का झगड़ा सुलटा लिया जाए. उनके बीच चीनी मिलों से लेकर डिस्टिलरी, सार्वजनिक परिवहन और रियल एस्टेट को मिलाकर करीब 20,000 करोड़ रुपये के समूचे कारोबारी साम्राज्य का बंटवारा होना था. लेकिन इस विवाद के ताबूत में महज तीन एकड़ में फैला छतरपुर का 42 नंबर वाला फार्महाउस आखिरी कील बन गया था.
 
तीनों भाइयों के बीच दरारें तो पहले ही पड़ चुकी थी. उनके पिता कुलवंत सिंह चड्ढा चाहते थे कि तीन भाइयों में बिना विवाद के बंटवारा हो जाए. लेकिन इस मामले में सबसे छोटे हरदीप उर्फ सतनाम को परेशानी थी. हालांकि दोनों बड़े भाई पोंटी और राजू (राजिंदर) की जोड़ी पक्की थी. उन दोनों की एक बात थी. नवंबर में दीवाली से पहले ही पोंटी ने राजू की बेटी की शादी इस्तांबुल में करवाई थी. मगर हरदीप उसमें नहीं गए थे.
 
मनप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ मोंटी चड्ढा का कारोबारी सफर
 
अपने पिता की तरह शानो-शौकत वाली जिंदगी जीने वाले मनप्रीत सिंह चड्ढा उर्फ मोंटी चड्ढा ने शायद ही कभी सोचा होगा कि महज 30 साल की उम्र में वह अपने पिता को खो देगा. उसे अहसास भी नहीं था कि वो इतनी जल्दी पिता के साम्राज्य का वारिस बन जाएगा. मोंटी ने ये भले ही ना सोचा हो लेकिन शायद पोंटी ने अपने बेटे को गद्दी सौंपने की तैयारी पहले ही कर ली थी. मार्च 2012 में जब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में पोंटी अपने साथ बेटे मोंटी को लेकर आए थे. मोंटी अपने पिता की ही तरह स्कूल ड्रॉप आउट हैं और उन्हीं की तरह नेता औैर अफसरों से जुगलबंदी करने में माहिर भी.
 
अप्रैल 2012 में आजतक/इंडिया टुडे को दिए एक साक्षात्कार में पोंटी चड्ढा ने कहा था कि उनके बेटे की शराब कारोबार में दिलचस्पी नहीं है. लेकिन जानकारों की मानें तो मोंटी पिछले एक साल से शराब के कारोबार में दखल बढ़ाने के साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के राजनैतिक आकाओं के बीच पैठ बनाने में जुटे हुए थे. मोंटी पहले से ही परिवार की प्रमुख कंपनी वेव इंक के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर थे और कारोबार के बड़े हिस्से को संभाल रहे थे.
 
मोंटी अपनी कारोबारी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन अपने पिता के वक्त में ही कर चुके थे, जब उन्होंने नोएडा और गाजियाबाद में 4,000 करोड़ रुपये की लागत से दो बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं की घोषणा की थी. महज 19 लाख रु. की कीमत में नोएडा जैसे इलाके में फ्लैट मुहैया कराने की घोषणा कर मोंटी ने रियल एस्टेट के दिग्गजों को चौंका दिया था.
 
उनके पिता ने जहां शराब के बार खोलकर पैसा बनाया वहीं मोंटी शराब के साथ चिकन बार लाने का भी इरादा रखते थे. वे अपने पॉल्ट्री कारोबार के लिए इजराइल से ऐसी मशीनें मंगाना चाहते थे, जो देश में मौजूद मशीनों से दोगुनी क्षमता रखती हों. लेकिन नेशनल हाइवे 24 पर आने वाले एक बड़े प्रोजेक्ट ने उनकी जिंदगी में तूफान ला दिया. उनके खिलाफ उस प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ 100 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया. यही नहीं उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया था. तभी से वो परेशानी में थे. और आखिरकार बुधवार की सुबह उन्हें दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया.

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