पिछले 10 सालों में चीन ने चार-चार बार जैश के सरगना मसूद अज़हर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी बनने से बचाया. जब जब लगता था कि यूएन मसूद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कर देगा तब तब ऐन वक्त पर चीन अपने वीटो का इस्तेमाल कर लेता था. तो सवाल ये है कि आखिर चीन ऐसा कर क्यों रहा था. तो इसका जवाब है पैसा और पावर. दरअसल चीन ने पाकिस्तान में खरबों रुपये निवेश कर रखे हैं.
इसलिए पाकिस्तान को नाराज नहीं कर सकता. और भारत में शांति हो ये चीन के हित में नहीं. लिहाज़ा वो पाकिस्तान के ज़रिए भारत को बस उलझाए रखना चाहता है. जब पूरी दुनिया आतंक के मसले पर पाकिस्तान के खिलाफ खड़ी है, तो चीन अपने भारी निवेश की वजह से पाकिस्तान का साथ देकर उसे बचा लेता है. इसके अलावा भी चीन की मजबूरियां हैं-
PAK में अरबों डॉलर की चीनी निवेश
पाकिस्तान में चीन सीपैक में 55 बिलियन डॉलर यानी 3.8 लाख करोड़ रु. का निवेश कर रहा है. और कई प्रोजेक्ट्स में 46 बिलियन डॉलर यानी 3.2 लाख करोड़ रु. खर्च कर चुका है. इसके अलावा पाक में पंजीकृत विदेशी कंपनियों में सबसे ज्यादा 77 चीन की हैं. और तो और ग्वादर पोर्ट के नज़दीक चीन अपना पूरा का पूरा शहर बसा रहा है. यानी कुल मिलाकर चीन ने पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है. ऐसे में पाकिस्तान का साथ छोड़ने पर उसे मुश्किल हो सकती है.
भारत को घेरने की कोशिश
पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन को टक्कर देने की कूव्वत अगर किसी के पास है तो वो भारत है. चीन उसे अपना सबसे बड़ा आर्थिक प्रतिद्वंद्वी भी मानता है. इसलिए चीन चाहता है कि भारत और पाकिस्तान को आपस में उलझाकर रखा जाए. इस लिहाज़ से अगर वो मसूद के खिलाफ जाता तो भारत ना सिर्फ अंतर्राष्टीय बिरादरी में मजबूत दिखता बल्कि पाकिस्तान के फ्रंट पर भी उसे राहत मिलती.
चीनी जुल्मों सितम पर खामोश PAK
खुद को मुसलमानों का हिमायती बताकर कश्मीर में युवाओं को बरगलाने वाला पाकिस्तान. चीन में उईगर मुस्लिमों के मामले में आंख मूद लेता है. आपको बता दें कि चीन के उईगर मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध हैं. मगर इस मसले पर पाकिस्तान ने कभी चीन के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई. और तो और इस्लामिक सहयोग संगठन के देशों में से सिर्फ पाक ही इन प्रतिबंधों को सही मानता है. इसलिए चीन को इस मोर्चे पर भी पाक की जरूरत है.
भारत के बढ़ते कद से चीन परेशान
इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले एक दशक से भारत ने आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर जो तरक्की की है. चीन उसे अपने लिए खतरा मानता है. साथ ही भारत-अमेरिका के अच्छे संबंध भी चीन के खिलाफ जाते हैं. इसलिए चीन ने मसूद अजहर को हथियार बना लिया है. जैसा भारत अजहर मसूद को समझता है. ठीक वैसे ही चीन दलाई लामा को मानता है. और भारत ने दलाई लामा को शरण दे रखी है.
चीन ये जानता है कि मौलाना मसूद अज़हर और पाकिस्तान में पलने वाले दूसरे आतंकी इंसानियत के लिए खतरा हैं. मगर वो भारत को अपने बराबर खड़ा होने से रोकना भी चाहता है. लिहाज़ा गाहे बगाहे वो पाकिस्तान में बैठे मसूद अज़हर जैसे आतंकी को सहारा बनता है. जो आज नहीं तो कल उसे भी डसेंगे. और तब तक शायद बहुत देर हो चुकी होगी.