वैध प्लाटिंग के जुर्माने मामले में बर्खास्त बिलासपुर के तत्कालीन एसडीएम संतोष देवांगन को आज हाइकोर्ट ने बरी कर दिया है. बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में संतोष देवांगन को सात साल की सजा सुनाई थी. फैसले को देवांगन ने हाईकोर्ट में सुनौती दी थी. जस्टिस सावंत ने सबूत के अभाव में उसे बाइज्जत बरी कर दिया. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि विभाग के बाबुओं ने डेढ़ लाख रुपए के जुर्माने को नोटशीट में बदलकर 15 हजार कर दिया था. इसमें संतोष की कोई भूमिका नहीं है. इस मामले के चलते देवांगन को दो बार जेल जाना पड़ा था. साथ ही नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा. आईएएस अवॉर्ड मिलने से भी वे चूक गए.
अवैध प्लाटिंग का मामला 2009 से चल रहा था. बिलासपुर एसडीएम होने के नाते इसकी शिकायत उनके पास पहुंची थी. उन्होंने बिल्डर पर डेढ़ लाख का जुर्माना लगाया था. लेकिन नोटशीट बदलकर किसी ने 15 हजार कर दिया. जुर्माना राशि बदलने का आरोप संतोष देवांगन पर लगाया गया. और इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू से की गई.
ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच कर 2015 में कोर्ट में चालान पेश किया. अपराध दर्ज होने के बाद संतोष को फरार बताया जाता रहा. इसकी शिकायत लोक आयोग में की गई. इसके बाद ईओडब्ल्यू ने उसे बलौदाबाजार के सरकारी आवास से गिफ्तार किया. 20 दिनों तक सेंट्रल जेल में बंद रहे, फिर उसे जमानत मिल गई. एसीबी के स्पेशल कोर्ट में संतोष के खिलाफ केस चलता रहा. जून 2017 में कोर्ट ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई. कोर्ट के फैसल के बाद संतोष देवांगन दो महीने तक जेल में रहे. बाद में हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. उसके बाद से हाईकोर्ट में मामला चल रहा था.आज जस्टिस सावंत ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया.
हाईकोर्ट के फैसले के बाद लल्लूराम डॉट कॉम ने संतोष देवांगन से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया. लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि अभी फैसले की कॉपी अभी उन्हें मिली नहीं है. कॉपी मिलने के बाद ही कुछ कह पायेंगे .