अफगानिस्तान सरकार ने 200 से अधिक तालिबानी कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है. इसमें से अकेले पुल-ए-चरखी जेल से 170 तालिबानी कैदी रिहा होंगे. बीते दो दशकों से देश में जारी सिविल वार के बीच चल रही शांति वर्ता के दौरान यह फैसला अहम माना जा रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने टोलो न्यूज के हवाले से बताया कि रिहा किए कैदियों को आतंकी संगठन तालिबान से रिश्ता रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पिछले महीने इन कैदियों को रिहा करने की सार्वजनिक घोषणा की थी.
बता दें कि तालिबान से शांतिपूर्ण संबंधों के लिए अफगानिस्तान सरकार ने अफगान ग्रांड काउंसिल बुलाई थी. इस काउंसिल में तालिबानी कैदियों को रिहा करने पर सहमति बनी थी. बदले में तालिबान देश में शांति स्थापना पर सहमत हुआ था. ये ग्रांड काउंसिल 3 मई को खत्म हुआ था.
इसके बाद ईद-उल-फितर को राष्ट्रपति अशरफ गनी ने 887 कैदियों को छोड़ने की घोषणा की थी. इस सारी कवायद का मकसद तालिबान को कूटनीतिक चैनलों के जरिए शांति वार्ता में शामिल कराना था.
इस बीच कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के इस फैसले का देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. इसके अलावा इन तालिबानी कैदियों को छोड़ने से पहले एक्सपर्ट की सलाह नहीं ली गई.
बता दें कि अफगानिस्तान सरकार ने ये कार्रवाई तब की है, जब अफगानिस्तान शांति वार्ता पर अमेरिका समेत कई देशों ने दिलचस्पी दिखाई है. इस वार्ता के लिए तालिबान की ओर से भी सकारात्मक संदेश मिला है. इससे पहले काबुल की सरकार से बातचीत करने में तालिबान हिचकिचाता रहा है.