चीन ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की (सीपीईसी) परियोजनाओं में उसके निवेश को तटस्थ और पेशेवर तरीके से मूल्यांकन करने की सलाह दी है। साथ ही उसने यह भी कहा कि आईएमएफ को पाकिस्तान को ऋण देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उससे दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर न पड़े।
गौरतलब है कि चीन का यह बयान ऐसे समय आया है, जब भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को एक बार फिर आईएमएफ की शरण में जाना पड़ रहा है। पाकिस्तान इसके इस परियोजना में चीन से लिए जा रहे कर्ज का ब्योरा देने पर भी राजी है। संभवतः इसी बात से चीन को चिंता हुई है।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने रविवार को मीडिया से कहा कि हम चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) से संबंधित कर्ज का ब्योरा आईएमएफ को देने को तैयार हैं। इंडोनेशिया से लौटने के बाद उमर ने कहा कि मित्र देशों से विचार-विमर्श के बाद मुद्राकोष से संपर्क करने का निर्णय किया गया है। उन्होंने इंडोनेशिया में ही आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीन लेगार्ड से पाकिस्तान को सहायता पैकेज का आग्रह किया था। उमर ने बताया कि इस कार्यक्रम पर चर्चा के लिये आईएमएफ का दल सात नवंबर को पाकिस्तान आएगा।
इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि चीन चाहता है कि पाकिस्तान को दिए गए कर्ज का आकलन आईएमएफ तटस्थ और पेशेवर तरीके से करे और जो भी पहल की जाए, उससे दोनों मित्र देशों के संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए। प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आईएमएफ के सदस्य होने के नाते, चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग का समर्थन करता है।
बता दें कि चीन का यह बयान अमेरिका के साथ उसकी तल्खी और मतभेदों के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे पहले अमेरिका ने आईएमएफ को आगाह करते हुए कहा था कि वह पाकिस्तान को कोई भी कर्ज देने से पहले भलीभांति विचार कर ले।