यौन उत्पीड़न के आरोपी केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर का मामला अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पहुंच गया है। महिला पत्रकारों के संगठन ने अकबर को बर्खास्त करने की मांग की है। संगठन ने राष्ट्रपति को इस बाबत पत्र लिखा है।
नेटवर्क ऑफ वुमेन इन मीडिया इन इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में कहा, ‘हम बेहद चिंतित हैं कि वह केंद्रीय मंत्री अब तक मंत्रिपरिषद में मंत्री पद पर बने हुए हैं।’ पत्र में कहा गया है कि, ‘आप इस बात से सहमत होंगे कि यह अनैतिक और अनुचित है। इस तरह से उनके कथित कुकर्मों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है।’ ज्ञात हो कि एमजे अकबर पर ‘मी टू’ अभियान के तहत दर्जन भर महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
एनडब्ल्यूएमआई ने कहा है कि विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने उन पर सबसे पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमाणी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है। एक आपराधिक मानहानि का आरोप उन लोगों को धमकाने और चुप करने का स्पष्ट प्रयास है, जो शक्तिशाली पदों पर बैठे पुरुषों द्वारा महिलाओं संग उत्पीड़न करने वालों को सामने ला रहे हैं। पत्र में कहा गया, ‘यह महिलाओं को खामोश रहने की स्थिति में वापस धकेलने के लिए बुना गया है और उन लोगों की भी आवाज को खामोश कर देगा, जिन्होंने अब तक बात नहीं की है।’ संगठन ने मांग की है कि अकबर को एक स्वतंत्र जांच में सहयोग देना चाहिए और सरकार को उन्हें जांच होने तक पद से बर्खास्त करना चाहिए।