जैसे ही लोकसभा चुनावों का ऐलान हुआ, वैसे ही सभी राजनीतिक पार्टियां जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में जुट गए है। चुनाव घोषणा के बाद पूरे देश में सियासत गरम हो चुकी है। पिछली बार हरियाणा के सात सीटों पर कमल खिला था, तो वहीं सिरसा, हिसार सीटों पर इनेलो ने कब्जा किया। जबकि रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा ने एक सीट जीतकर कांग्रेस को सफाए से बचाया था। इन पांच सालों में हरियाणा में राजनीतिक समीकरण बदल गए है। पिछली बार बीजेपी ने जिस हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, उसी पार्टी का इस बार कांग्रेस में विलय हो चुका है, तो वहीं इनेलो में टूट के बाद नई जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ है। जो इस बार के लोकसभा चुनाव में नए सियासी समीकरण बनाने के संकेत दे रहे है। बसपा भी बीजेपी के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी है। जिसका सीधा फायदा हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को मिल सकता है। आपको बता दें, बीजेपी के लिए करनाल, हिसार और सिरसा सीट पहले से ही चुनौतीपूर्ण है। इन सीटों पर 2014 की मोदी लहर में बीजेपी नहीं जीत पाई थी। इस बार हालात 2014 से कई गुना बदल गए हैं। कांग्रेस 3 बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतकर 2019 के इस चुनावी रण में उतर रही हैं, तो वहीं बीजेपी सिर्फ मोदी के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं। देखना होगा बीजेपी का मोदी फैक्टर काम करता है या कांग्रेस की नई राजनीति..।