हिंदी पट्टी की राजनीति पूरे देश को खूब भ्रमित करती है। लुभाती भी है और डराती भी है। राजनीतिक समझ रखने वाले लोग कहते तो बहुत कुछ हैं, लेकिन फैसला नहीं कर पाते। इसके कारण भी हैं। यह हिंदी पट्टी ही है, जहां राजनीतिक पार्टियां टोकरी में हर तरह के सामान को सजाकर जनता के सामने पेश होती है और जनता के मनमुताबिक जनता तक पहुंचा भी देती है। राजनीतिक दलों की टोकरी में जाति, धर्म, गरीबी, वादे, मंदिर और दूसरी पार्टियों की खामियां सजी रहती हैं। इसे बेचने के लिए बेहतर से बेहतर प्रचारकों की जरूरत पड़ती है। हर पार्टी वाले अपने हिसाब और क्षेत्र के मुताविक प्रचारकों की फ़ौज तैयार कर रखती है। लेकिन, अब सब खत्म हो गया। चुनाव दरवाजे पर खड़ा है और पार्टियां सबकुछ लुटाकर जीत हासिल करना चाहती हैं। बीच में जनता रुकावट के रूप में आ खड़ी है।
वैसे तो देश में पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, लेकिन चर्चा हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की ही हो रही है। भाजपा का इन तीनों राज्यों में सरकार है। किसी को लगता है कि कांग्रेस भाजपा को हराएगी, तो किसी का मानना है कि भाजपा अपनी जमीन बचा लेगी। लेकिन राजनीति और चुनाव में सट्टा लगाने वाले खिलाड़ी कुछ और ही समझ रहे हैं। इन तीनों राज्यों को लेकर सट्टा बाजार खूब गर्म है। राज्य में वोटर जैसे ही अपना थोड़ा सा मूड बदलता है, तो सटोरिये अपना भाव बदल देते हैं।
बता दें कि चुनावी चहलकदमी पर नजर रखने वाला यह बाजार करोड़ों-अरबों का है। एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा विधानसभा चुनावों पर करीब 20 हजार करोड़ का सट्टा लगा हुआ है। जो अभी भाव है, उस हिसाब से कांग्रेस खुश हो सकती है और भाजपा के लिए चिंताएं हैं। सट्टा बाजार पर जाएं तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हो रही है, तो वहीं छत्तीसगढ़ में बहुत ही कम अंतर से भाजपा आगे है।
सट्टा बाजार में चल रही अटकलों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कुल 230 में से कांग्रेस 117-118 सीट पर जीत रही है, वहीं भाजपा को 100-102 सीट मिलने का अनुमान है। एक तरह से सट्टा बाजार एमपी में कांग्रेस को जीता हुआ मान रहा है। सट्टा बाजार का अपना आकलन कहता है कि मध्य प्रदेश के कई मंत्री इन विधानसभा चुनावों में हारने जा रहे हैं।
सट्टा मार्केट में अगर किसी पार्टी का भाव कम है, तो उसका मतलब वह जीत रही है और अगर किसी पार्टी का भाव चढ़ रहा है, तो इसका मतलब वो हार की तरफ बढ़ रही है। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक एक बुकी का कहना है कि एक महीने पहले तक भाजपा काफी आगे थी, लेकिन वोटिंग नजदीक आते-आते बाजी पलटने लगी है। अगर एक महीने पहले कोई कांग्रेस पर हजार रुपये लगाता, तो उसे कांग्रेस की जीत पर 2 हजार मिलते, लेकिन अब उसे इतने पैसे नहीं मिलेंगे। उस वक्त भाजपा को 130 सीट मिल रही थी, लेकिन अब ताजा नंबर यह है कि वह 100 सीट पर अटकी है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक जितने भी सर्वे आए हैं, उसमें कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। हर कोई यहां कांग्रेस की बहुत बड़ी जीत का अनुमान लगा चुका है। ऐसे में सट्टा मार्केट ने भी अपना भाव ‘हाथ’ के साथ रखा है। सट्टा मार्केट के मुताबिक कुल 200 सीटों में से 127-129 सीट कांग्रेस, तो 54-56 सीट भाजपा को जा रही हैं। यानी, राजस्थान में सटोरी आंख बंद करके कांग्रेस पर पैसा लगा रहे हैं। हालांकि, वहां प्रदेश के मंत्री और खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की झालरापाटन सीट को लेकर कांटे की टक्कर है। सट्टा इस बात पर ज्यादा खेला जा रहा है कि भाजपा के मंत्री अपनी सीट बचा पाएंगे या नहीं।