हरियाणा खेलों में देश का नंबर वन राज्य है। हरियाणा ने देश को खेलों में कई सुपर स्टार दिए है। जिनमें साक्षी मलिक, सविता पूनिया, योगेश्वर दत्त, जोगेंदर शर्मा, मनोज कुमार सहित कई नामी चेहरे है। जिन्होंने ओलंपिक से लेकर राष्ट्रीय मंडल सहित कई मंचों पर देश का नाम रोशन किया है। हरियाणा खेलों में हमेशा से देश का नंबर वन राज्य रहा है।
आज वहीं हरियाणा अपने ही प्रदेश सरकार की खेल नीतियों से जूझ रहा है। प्रदेश की खट्टर सरकार पिछले 5 सालों में खेलों को लेकर कुछ भी करती नजर नहीं आई है। इतना ही नहीं सरकार की नीतियों का विरोध प्रदेश के कई खिलाड़ी भी कर चुके हैं। आपको बता दें, खेलों में हरियाणा देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हमेशा से आगे रहा है। मगर पिछले 5 साल से खट्टर सरकार की खेल नीतियों को लेकर हरियाणा खेलों में पिछड़ता नजर आ रहा है।
वैसे चाहे कुश्ती हो या फिर बॉक्सिंग लगभग हर खेलों में हरियाणा शीर्ष पर है। हरियाणा खेलों में देश का प्रतिनिधत्व करने के मामले में सबसे आगे है। कबड्डी से लेकर कुश्ती तक हर श्रेणी में हरियाणा शीर्ष पर रहा है। हरियाणा के जुझारू खिलाड़ियों ने देश को कई बडे मंचों पर मेडल दिलाए हैं। अगर देश को खेलों में आगे ले जाने की बात करें, तो हरियाणा की अहम भूमिका रही है।
हरियाणा की 2004 से 2014 तक की हुड्डा सरकार ने प्रदेश में खेलों को प्रोत्साहित कर, युवाओं को खेलों के जरिए अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया। जिससे प्रदेश के युवाओं ने खेलों के माध्यम से देश-प्रदेश का नाम रोशन किया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार ने राज्य में खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा के लगभग हर शहरों में राज्य स्तरीय स्टेडियम बनवाएं। जिससे प्रदेश के युवाओं में खेलों के प्रति जोश और जज्बा बड़ा हैं। अगर रोहतक की बात करें, हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान रोहतक में राष्ट्रीय स्तरीय स्टेडियम और कोसली व बहादुरगढ़ में राज्य स्तरीय स्टेडियम बने हैं। जिससे खिलाड़ियों को खेल अभ्यास के लिए आसानी ही नहीं बल्कि सुविधा भी हो रही है। आपको बता दें, हुड्डा सरकार के शासन काल में हरियाणा से कई नये युवा खिलाड़ी निकले हैं, जिन्होंने आगे जाकर देश का प्रतिनिधित्व भी किया हैं।
वहीं अगर मौजूदा खट्टर सरकार की खेल नीतियों की बात करें, तो खट्टर सरकार अपने खेल नीतियों को लेकर फेल नजर आती है। जिसके लिए खट्टर सरकार अपने नीतियों को लेकर शुरू से ही जनता के निशाने पर रही है। इतनी ही नहीं खट्टर सरकार खिलाड़ियों का समर्थन ना करने से लेकर हो या फिर खिलाड़ियों की ईनामी घोषणा राशि समय पर नहीं देने को लेकर भी विवादों में रही है। इसके अलावा प्रदेश में खट्टर सरकार ने खेलों को लेकर कोई नई नीति नहीं बनाई, जिससे प्रदेश के युवाओं को प्रोत्साहित किया जा सकें। खट्टर सरकार द्वारा खिलाड़ियों से किया गया वादा भी सही और समय से नहीं निभाया गया। जिसके कारण प्रदेश कई खिलाड़ियों हरियाणा छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
हरियाणा की खेल नीतियों को प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने खट्टर सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। जिसमें खेल मैदानों का सही रखरखाव नहीं होना, खिलाड़ियों के लिए बजट उपलब्ध नहीं होना जैसे कई आरोप हैं। अगर खेल नीतियों के मामले में हुड्डा सरकार और खट्टर सरकार की तुलना की जाए तो खट्टर सरकार जीरो नजर आती है, ऐसा हम नहीं बल्कि आंकड़े कहते हैं। वैसे आपको बता दें, हुड्डा सरकार की खेल नीतियों से लेकर खेल प्रेम की तारीफ महिला पहलवान साक्षी मलिक से लेकर क्रिकेटर जोगेंदर शर्मा तक कर चुके हैं। कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने अपने शासन काल में स्कूल स्तर तक हरियाणा के बच्चों को खेल सुविधा प्रदान करने का काम किया था। जिससे आज भी हरियाणा के युवाओं में खेल के प्रति जोश, जज्बा, उम्मीद, आशाएं देखने के मिलती हैं।