लगभग 640 दिनों पहले मोमेंटम झारखंड के जरिए राज्य सरकार ने प्रदेश की तकदीर संवारने का संकल्प लिया था। जमशेदपुर के गोपाल मैदान में जून 2017 को 74 कंपनियों का शिलान्यास किया गया था। इसके तहत सात सौ करोड़ रुपये निवेश करने वाली 21 कंपनियों को जमीन उपलब्ध कराना था। कोल्हान में लगभग एक लाख लोगों को रोजगार मिलना था, पर एक भी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। लैंड बैंक में पर्याप्त जमीन होने के बाद भी अबतक किसी उद्योग को जमीन का हस्तानांतरण नहीं हो सका। अधिकतर कंपनियों ने आवेदन ही नहीं किया और कुछ कंपनियों ने आवेदन किया तो दस्तावेज में कमी पाई गई। उन्होंने यह कमी अबतक पूरी नहीं की। उद्योगों को स्थापित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया था।
कोल्हान में बड़े उद्योगों के स्थापित नहीं होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर लगभग एक लाख नौकरियों पर भी ग्रहण लग गया है। इसके लिए स्किल्ड डेवलपमेंट सेंटर खोले गए थे। कई लोगों को तो कंपनियों को स्थापित होने के पहले ही नियुक्ति पत्र दे दिया गया। काबिलेगौर है कि जब इसकी शुरुआत की गई, तो मुख्यमंत्री रघुबर दास ने देश की राजधानी में आकर बिजनेस समिट किया था। देश के कई दूसरे बड़े शहरों का दौरा किया। विदेश तक अधिकारी भेजे गए। लंबे-चौड़े वादे किए गए। लेकिन, नतीजा वही ढाक के दिन पात। अब तो लोग यही कह रहे हैं कि मोमेंटम झारखंड का प्रतीक चिन्ह हाथी धड़ाम हो गया।