जनता दल यू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनकी सदस्यता को लेकर चल रही सुनवाई को अदालत ने लंबे समय तक के लिए टाल दिया है। अब इस मामले में सुनवाई 11 सितंबर, 2019 को होगी। यानी, एक साल तक के लिए यह मामला टल गया। तब तक यथास्थिति बनी रहेगी। वे राज्यसभा नहीं जाएंगे और राज्यसभा के सदस्य के तौर पर वेतन-भत्ते आदि नहीं लेंगे, लेकिन 7-तुगलक रोड का बंगला उनके पास रहेगा।
ऐसा लग रहा है कि फिलहाल वे भी इतनी ही राहत चाह रहे थे, क्योंकि उनको 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी रणनीति बनाने में जुटना है। वे विपक्ष का महागठबंधन बनाने में लगे सबसे सक्रिय नेता हैं। यह भी तय माना जा रहा है कि वे 2019 में अपनी पारंपरिक मधेपुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे और जीत गए तो खुद ही राज्यसभा से इस्तीफा दें देंगे।
खबर है कि वे बिहार में नए समीकरण बनाने में लगे हैं। केंद्रीय मंत्री और रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा उनके संपर्क में हैं। कांग्रेस, राजद और हम के महागठबंधन में इन दोनों नेताओं की पार्टी भी शामिल हो सकती है या वे कोई अलग तीसरा मोर्चा भी बना सकते हैं। बहरहाल, मई में अगर लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद वे राज्यसभा की सीट छोड़ते हैं, तब भी उस सीट का कार्यकाल करीब तीन साल बचा रहेगा।