राजस्थान में 7 दिसंबर को विधानसभा चुनावों की वोटिंग होनी है। चुनाव के मद्देनज़र सारे राजनीतिक दल प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। लेकिन शाम के 5 बजते ही सभी चुनावी प्रचारों पर रोक लगा दी गई है। चुनावी रैलियों से लेकर रोड शो तक सब कुछ रोक दिए गए हैं। राजस्थान के रण में लंबा और घमासान चला प्रचार का पहिया थम गया है। प्रचार थमने के साथ ही चुनावी शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शांत हो गया है। अब कैंडिडेट, वोटर्स के घर-घर जाकर जरूर वोट की अपील कर सकते हैं। 7 दिसंबर को होने वाले चुनाव में जनता अपने वोट का इस्तेमाल कर प्रदेश मे नई सरकार का गठन करेगी।
इस चुनाव में कुल 2298 प्रत्यशियों के भाग्य का फैसला होना है। राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं, लेकिन वोटिंग 199 सीटों पर ही होगी। रामगढ़ विधानसभा में बसपा के एक प्रत्याशी के निधन के बाद इस सीट पर बाद में मतदान होगा। राजनैतिक दलों की शंकाओं के बीच चुनाव आयोग ने राजस्थान की सभी विधानसभा सीटों पर वीवीपैट के इस्तेमाल का फैसला किया है। राजस्थान में ऐसा पहली बार होगा जब हर विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम के साथ वीवीपैट का इस्तेमाल होगा।
वोटिंग के लिए जरूरी सूचना
वोट देने के लिए वोटर का नाम वोटिंग लिस्ट में होना जरूरी है। इसके बाद वोटर को पोलिंग बूथ पर अपनी पहचान स्थापित करानी होगी। राज्य में सभी वोटर्स को मतदाता फोटो पहचान-पत्र वितरित किए जा रहे हैं। जिन वोटरों के पास मतदाता फोटो पहचान-पत्र नहीं, वे अपनी पहचान मतदाता पर्ची या वैकल्पिक दस्तावेजों के माध्यम से करा सकता है।
विधानसभा चुनाव में 51 हजार 965 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने मत का प्रयोग करेगें। प्रदेश में मतदान को सफल बनाने के लिए इस बार 4,77,89,815 (4 करोड़ 77 लाख) मतदाता शामिल हैं। जिसमें 2,28,28,018 (2 करोड़ 28 लाख) महिला शामिल है,जो चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
प्रदेश का यह चुनाव राजनैतिक पार्टियों के साथ चुनाव आयोग के लिए भी खास होने वाला है क्योकि मतदान को सफल बनाने के लिए राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार, एनसीसी की मदद से जरूरतमंद, विकलांग मतदाता को मतदान केन्द्र तक पहुंचाने के लिए वाहनों और व्हीलचेयर की सुविधा प्रदान कर रही है।