बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की। खबर है कि नीतीश ने नायडू को फोन किया और दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। ध्यान रहे नीतीश महागठबंधन बना कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को हरा कर वापस एनडीए में लौटे हैं तो दूसरी ओर नायडू एनडीए के साथ रहे और चुनाव जीतने के बाद अब मोदी-शाह के खिलाफ देश भर में लामबंदी कर रहे हैं। पर दोनों की राजनीति में एक समानता भी है। नीतीश कुमार एनडीए मंे रह कर एक सामानांतर समूह बनाने की राजनीति कर रहे हैं तो दूसरी ओर नायडू कांग्रेस के साथ तालमेल करने के बावजूद एक सामानांतर गठबंधन की तैयारी कर रहे हैं।
तभी दोनों के बीच हुई बातचीत को लेकर कई तरह की अटकलें हैं। नीतीश कुमार उनको एनडीए में लौटने के लिए समझा रहे थे या नायडू ने नीतीश को एनडीए छोड़ने के लिए समझाया यह पता नहीं लग सका है। पर जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की स्थितियों पर चर्चा हुई है। कहा जा रहा है कि दोनों इस बात पर सहमत हैं कि चुनाव के बाद गैर कांग्रेस और गैर भाजपा सरकार बनाने और समाजवादी धारा के किसी नेता के प्रधानंमत्री बनने के प्रबल आसार हैं।
गौरतलब है कि नीतीश के करीबी सहयोगी और पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर सात-आठ पार्टियों का एक समूह बनाने पर काम कर रहे हैं। वे आंध्र प्रदेश में रहे हैं और नायडू के घोर विरोधी जगन मोहन रेड्डी के लिए काम कर चुके हैं। ऐसा लग रहा है कि उनको चुनावी हालात का अंदाजा हुआ है और इसलिए उनके कहने पर नीतीश ने नायडू के साथ संवाद बहाल करने की पहल की है। अगर प्रशांत किशोर की योजना परवान चढ़ती है तो वे नीतीश, नायडू, नवीन पटनायक, चंद्रशेखर राव जैसे सात-आठ क्षत्रपों को एकजुट करके 70-80 लोकसभा सीटों का एक समूह बनाएंगे और तब 2019 में नई सरकार बनाने में नीतीश की बड़ी भूमिका बनेगी।