आसाराम ने ऐसे खड़ा किया अरबों का साम्राज्य, 6 साल से खा रहे जेल की हवा

आसाराम ने ऐसे खड़ा किया अरबों का साम्राज्य, 6 साल से खा रहे जेल की हवा Date: 30/04/2019
गुजरात के सूरत जिले की सत्र अदालत ने जेल में बंद प्रवचनकर्ता आसाराम के बेटे नारायण साईं को साल 2013 में अपनी एक महिला भक्त के साथ बलात्कार के एक मामले में दोषी करार दिया है. इस मामले में आज सजा सुनाई जाएगी.
 
साईं (47), 2013 से ही लाजपोर जेल में बंद है. अदालत ने उसके अलावा 3 महिलाओं सहित 4 सहयोगियों (धर्मिष्ठा उर्फ गंगा, भावना उर्फ जमुना, राजकुमार उर्फ रमेश मल्होत्रा और पवन उर्फ हनुमान) को भी दोषी पाया है. साईं को आईपीसी के धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक दुराचार), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-ख(षडयंत्र) के तहत दोषी पाया गया है. इस मामले में कुल 11 अभियुक्त थे और इनमें से 6 को बरी कर दिया गया है.
 
बता दें कि आसाराम जोधपुर में बलात्कार के एक दूसरे मामले में दोषी पाया जा चुका है और वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है. साथ ही सूरत में रहने वाली महिला के द्वारा दायर मामला गांधी नगर अदालत में चल रहा है. दोनों बाप-बेटे के जेल में बंद हैं और पीछे छोड़ गए हैं करीब 10 हजार करोड़ रुपये का साम्राज्य. जानकारी के मुताबिक आसाराम के 40 शहरों में स्कूल चल रहे हैं और 400 से ज्यादा आश्रम भी हैं.
 
40 शहरों में स्कूल, 400 से ज्यादा आश्रम, ऐसा है आसाराम का साम्राज्य
 
जून 2016 में, आयकर विभाग की जांच में आसाराम की 2300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की अघोषित संपत्ति सामने आई थी. आसाराम की आधिकारिक वेबसाइट आश्रम डॉट ओआरजी के मुताबिक आसाराम के पास 425 से अधिक आश्रम, 1,900 से ज्यादा समितियां, 17,000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र, 50 से ज्यादा गुरुकुल और करोड़ों भक्त हैं.
 
आसाराम के पास 400 ट्रस्ट हैं. उसके जरिए वह अपने पूरे साम्राज्य पर नियंत्रण रखता था. इनमें से दो सबसे अहम ट्रस्ट 'संत श्री आसारामजी आश्रम ट्रस्ट' और 'संत श्री आसारामजी महिला उत्थान ट्रस्ट' अहमदाबाद से चलाए जाते हैं. गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश के साथ-साथ कई मध्य और उत्तर भारतीय राज्यों में जमीन-जायदाद का अधिग्रहण किया गया. अब भक्तों की ठगी गई आस्था का बाजार मूल्य तय करना तो नाइंसाफी होगी, लेकिन बाबा के इन आश्रमों और दूसरी संपत्ति के साम्राज्य की कीमत करीब 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है.
 
2015 की इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक आसाराम की...
 
—> बेनामी जमीन-जायदाद के सौदे और वित्तीय लेनदेन कथित तौर पर ज्यादातर नकदी में हैं. यह करीब 2,200 करोड़ रु. से अधिक के हैं.  
 
> 500 से अधिक लोगों को मोटी ब्याज दर पर 1,635 करोड़ रु. नकद कर्ज दिए गए.
 
> दो अनजान-सी अमेरिकी कंपनियों और सोहम इंक और कोस्टास इंक में 156 करोड़ रु. निवेश किए गए. इसमें भी घोटाले की शंका है क्योंकि किसी भी निवासी भारतीय के विदेश में सीधे निवेश करने की मनाही है.
 
> कथित तौर पर 8 करोड़ रु. की रकम आसाराम और उसके बेटे साईं के खिलाफ बलात्कार के मामलों की जांच-पड़ताल से जुड़े पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों को घूस देने के लिए अलग से रखी गई थी.
 
कागज पर इन सभी का कुल योग भारी-भरकम 4,500 करोड़ रुपये बैठता है. लेकिन जांचकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने पुरानी सर्कल दरों पर ही इस रकम का आकलन किया है, अगर जमीन-जायदाद की कीमत मौजूदा बाजार दरों पर आंकी जाए तो आसाराम का कुल गोरखधंधा 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का होगा.
 
पत्रिकाओं की होती थी 10 करोड़ रुपये की कमाई
 
2013 में आसाराम की गिरफ्तारी तक आश्रम से प्रकाशित दो पत्रिकाओं ऋषिप्रसाद और लोक कल्याण सेतु की 14 लाख प्रतियां हर महीने बिकती थीं. इनसे सालाना 10 करोड़ रुपए के आसपास रकम आती थी.
 
धन बटोरने का सबसे बड़ा जरिया अनुयायियों को प्रवचन देना था. इसके लिए करीब 50 की तादाद में आयोजित सत्संग हुआ करते थे. दो या तीन दिनों के हरेक प्रवचन में उत्पादों की बिक्री से ही 1 करोड़ रुपये जुट लिए जाते थे. सबसे ज्यादा धन उगलने वाले 3 या 4 सालाना गुरुपूर्णिमा के कार्यक्रम हुआ करते थे.
 
भंडारे के लिए जुटाते थे 200 करोड़ रुपये
 
आसाराम के करीबी बताते हैं कि हर साल 10 से 20 भंडारे किए जाते थे. उनके लिए 150 करोड़ से लेकर 200 करोड़ तक चंदा लिया जाता था. इसकी तुलना में खाना बनाने और बांटने में खर्च की गई रकम नाममात्र की हुआ करती थी. 11000 योग वेदांत सेवा समितियों के जरिए चंदा इकट्ठा होता था.
 
लेन-देन के लिए 800 बैंक खातों का होता था इस्तेमाल
 
2015 में इंडिया टुडे द्वारा की गई पड़ताल में यह बात भी सामने आई थी कि आसाराम अनुयायियों के चंदे से इकट्ठा किए गए पैसों और आश्रमों की बिक्री से कमाए मुनाफे से सूद-ब्याज का एक बड़ा तंत्र जैसा बनाने का काम चला रहा था. जांचकर्ताओं के मुताबिक, पैसे के संदिग्ध लेनदेन के लिए करीब 800 बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि, अब आधिकारिक तौर पर उनकी संपत्ति को देखने वाला कोई व्यक्ति नहीं है और दोनों बाप-बेटे जेल में सजा काट रहे हैं.

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