महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बुधवार को हुए नक्सली हमले के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है. इस हमले में 15 कमांडो समेत 16 लोगों की मौत हो गई. हमले के लिए 30 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. लेकिन हमले के लिए नक्सलियों ने जाल कैसे बिछाया और सुरक्षाबलों पर कैसे घात लगाकर हमला किया, आइए आपको बताते हैं, कैसे हुआ हमला.
क्या था हमले का प्लान
नक्सलियों ने बुधवार तड़के हमले की जगह से करीब 12 किलोमीटर दूर कुरखेड़ा के दादापुर गांव में सड़क बनाने वाली मशीनों में आग लगा दी. यहां सड़क बनाने का काम चल रहा था. सूत्रों के मुताबिक खूंखार माओवादी नेता मिलिंद तेलतुंबडे ने गाड़ियां फूंकने से पहले गांववालों के लिए जनता दरबार लगाया और उनसे किसी भी सरकारी प्रोजेक्ट्स में हिस्सा नहीं लेने की चेतावनी दी थी. गाड़ियों को फूंकना नक्सलियों का एक प्लान था क्योंकि वह जानते थे कि इस हरकत के बाद पुलिस बल को उन्हें ढूंढने के लिए उसी रोड से भेजा जाएगा. नक्सलियों ने सड़क पर आईईडी लगा दिया. जैसे ही सुरक्षाबल उस जगह पर पहुंचे, नक्सलियों ने रिमोट के जरिए ब्लास्ट कर दिया. नक्सलियों ने कुरखेड़ा के दादापुर गांव में सड़क बनाने वाली मशीनों को आग लगा दी. यहां सड़क बनाने का काम चल रहा था.
ऐसे किया गया हमला
गढ़चिरौली पुलिस ने शुरुआती जांच में पाया कि विस्फोटक किसी बाल्टी जैसे बर्तन में रखे गए थे. उन्हें पुलिया के नीचे लगाया गया था. धमाका इतना जबरदस्त था कि घटनास्थल पर 10 फुट गहरा गड्ढा हो गया. विस्फोट के बाद कमांडोज के अवशेषों को इकट्ठा किया गया क्योंकि उनके टुकड़े इधर-उधर बिखर गए थे. जिस वाहन में सुरक्षाकर्मी सवार थे, वह भी धमाके के बाद 800 मीटर दूर जाकर गिरा. सूचना मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर रिपोर्ट लिखी और सैंपल्स को डीएनए मिलान के लिए फॉरेंसिक लैब में भेज दिया.
कौन था मास्टरमाइंड
गढ़चिरौली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि हमला पूर्व नियोजित था और इसका मास्टरमाइंड वॉन्टेड माओवादी नेता मिलिंद तेलतुंबडे था. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड और उड़ीसा में उस पर 1 करोड़ की इनामी राशि रखी गई है. मिलिंद का भाई आनंद तेलतुंबडे गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर है, जिसकी पुणे पुलिस जांच कर रही है. घटना के अगले दिन पुलिस ने हमले में शामिल नक्सलियों की खोजबीन शुरू कर दी है.
दादापुर गांव में गाड़ियां फूंकने और 16 लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद माओवादियों ने कुछ बैनर्स भी लगाए थे. इन बैनर्स में कहा गया कि यह हमला 22 अप्रैल को हुए एनकाउंटर का बदला है, जिसमें 40 माओवादी मारे गए थे. बैनरों में यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार अमीरों के लिए काम कर रही है और उसकी सोच फासीवादी है. हमले के बाद इलाके में सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है. महाराष्ट्र के डीजीपी सुबोध जायसवाल ने खुद घटनास्थल पर जाकर हालात का जायजा लिया.